स्वस्थ भारत मीडिया
आज का स्वस्थ्य ज्ञान / Today's Health Knowledge आयुष / Aayush बचाव एवं उपचार / Prevention & Treatment रोग / Disease स्वस्थ भारत अभियान / Healthy India Campaign

आयुर्वेद के मत में हृदय और सरसों का तेल

हृदय हमारे शरीर का एक प्रमुख अंग है, जो लगातार चौबीस घण्टे सोते जागते धडकता रहता है और पूरे शरीर में रक्त की पूर्ति करता रहता है, हृदय का कार्य सुचारु रूप से सम्पादित करने में मुख्य रूप से दो कोरोनरी धमनियों तथा उनसे निकलने वाली बहुत सी छोटी-छोटी शाखाओं पर निर्भर रहता है। ये कोरोनरी धमनियों के माध्यम से ही हृदय को आक्सीजन एवं ग्लूकोज रूपी ईधन की पूर्ति के साथ साथ उसके लिए सभी आवश्यक जरूरतों का भी ध्यान रखती है। मानसिक दबाव एवं अत्यधिक शरीरिक श्रम के दौरान हृदय को उन उत्यधिक बल पड़ता है तो ये धमनियां अपने आप आयतन में आवश्यकतानुसार फैलाव कर शरीर में रक्त का बहाव सुचारू रूप से संपादित करती है, इन धमनियों में आम या दोषों का स्थान हृदय में होने से हृदय में अवरोध होता है उसे ही हृदय रोग कहते है।
आज के प्रतिस्पर्धी युग की भागदौड़ की जिंदगी में हमें अपने शरीर एवं स्वास्थ्य की ओर ध्यान देने का समय ही नहीं है। आधुनिक जीवन शैली के कारण उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, मानसिक दबाव एवं मधुमेह जैसे रोग की वृद्धि हो रही है। अनुभव में यह देखने में आया है कि जो लोग सुख सुविधा एवं वातानुकूलित कमरों या कार्यालयों का अधिक उपयोग करते हैं उन्हें हृदय रोग जैसे बीमारियों का शिकार होना पड़ता है। इसके विपरीत मेहनतकश लोग जिनकी अत्यधिक संख्या गांव में निवास करती है। श्रम करके अपना जीवन यापन करते हैं उनको हृदय रोग जैसी बीमारियां नहीं होती, क्योंकि अत्यधिक श्रम के फलस्वरूप शरीर में उष्मा एवं पित्त की वृद्धि होने से स्वेद यानी पसीने का स्त्राव होता है जिससे शरीर के अंदर की अशुद्धियां व मल पसीने के माध्यम से शरीर से बाहर हनकल जाता है साथ ही उष्मा एवं पित्त के प्रभाव से कफ एवं वसा का शमन होता है जिससे हृदय की धमनियों में अवरोध उत्पन्न नहीं हो पाता।
हृदय रोगः सामान्य व मुख्य कारण
जो लोग नियमित व्यायाम नहीं करते रात्रि में देर से सोते है एवं दिन को देर से उठते है उनकी पाचन क्रिया बिगड़ जाने के कारण भूख नहीं लगती। भोजन का सम्यक् परिपाक नहीं होने से आमयुक्त रस का निर्माण होता है जो रक्तवाही धमनियों के माध्यम से हृदय में स्थान संश्रम कर रक्तवाहिनियों में अवरोध उत्पन्न कर हृदय रोग को उत्पन्न करता है।
तले हुए मसालेदार मांस-मछली आदि भोज्य पदार्थों का जो लोग अत्यधिक सेवन करते हैं तथा अम्लीय पदार्थों का सेवन अधिक करने से विकृत कफ रक्त के साथ थक्के के रूप में जमकर हृदय रोग को उत्पन्न करता है।
मानसिक तनाव अत्यधिक क्रोध एवं भय से पाचन से पाचन क्रिया बिगड़ जाती है जिससे गैस, कब्ज एवं अनिद्रा होने से हृदय पर दबाव पड़ता है जिससे रक्तचाप की वृद्धि होकर हृदय रोग में परिवर्तित हो जाता है।
सरसों तेल का हृदय के लिए उपयोगिता
सरसों भारतवर्ष के प्रायः सभी प्रांतों में पाया जाता है सरसों का पौधा राई के पौधों से मिलता-जुलता होता है। इसकी खोती यद्यपि संपूर्ण भारतवर्ष में होती है किन्तु विशेषकर उत्तरप्रदेश, राजस्थान एवं मध्यप्रदेश के ग्वलियर संभाग में होती है। जहां सरसों तेल निकालने के लिए मिलें स्थापित हैं। इसकी दो जातियां होती है- 1. श्वेत या गौर सरसों जिसे सिद्धार्थ भी कहते हैं, 2. रक्त सरसों। औषधि कार्यों के लिए श्वेत (गौर) सरसों श्रेष्ठ माना गया है सरसों के बीज से 25 प्रतिशत तक तेल निकलता है जिसे बोलचाल की स्थानीय भाषा में कटु तेल कहते हैं।
तेल का गुण स्निग्ध होता है रस, कटु-तिक्त, विपाक-कटु तथा वीर्य-उष्ण होता है। इसका तैल स्निग्ध गुण के कारण वायु का शमन करता है। उष्ण, वीर्य और तीक्ष्ण होने से कफ का शमन करता है। उष्ण वीर्य एवं तिक्त रस के कारण पित्त की वृद्धि करता है जो वायु एवं कफ का शमन करने से हृदय में उत्पन्न हुए किसी भी प्रकार के अवरोध को दूर करता है तथा ह्दय को उत्तेजित करता है। इसके तैल से सीनाल्विन स्फटकीय द्रव्य, सीनापिन, सल्फोसाइनाइट, लेसीथिन, पिच्छिल द्रव्य, मायरोसिन, क्रोटिड और क्षार पाया जाता है। इसमें पोटेशियम, मैग्नीशियम और स्फटिक के फास्फेट पाये जाते है जिनकी ह्दय की धड़कन एंव लय संतुलन में विशेष योगदार है। एक व्यक्ति को प्रतिदिन 2 ग्राम सोडियम एवं 2 ग्राम पोटेशियम की आवश्यकता होती है। सरसों तेल के अतिरिक्त अन्य तेल जो खाने में प्रयुक्त होते है उनमें प्रोटीन एवं वसा की मात्रा सरसों तेल की अपेक्षा अत्यधिक होने से तथा सरसों तेल तीक्ष्ण, उष्ण, दीपन विदाही क्रिमिघ्न, वेदना स्थापन, स्नेहन, एवं जन्तुघ्न होने से ह्दय के लिए बलप्रद है और अन्य तेलों की अपेक्षा ह्दय के लिए लाभकारी है।
                                                                                       डॉ. रामविलास सहगौरा

Related posts

‘स्वस्थ भारत अभियान’ के ब्रांड एम्बेसडर बने एवरेस्टर नरिन्दर सिंह

Ashutosh Kumar Singh

कोरोना को भगाने के लिए यह करें उपाय…

Ashutosh Kumar Singh

1 लाख से ज्यादा लोगों से किया प्रत्यक्ष संवाद

1 comment

Dheeraj Kumar July 21, 2019 at 10:28 pm

Good sir

Reply

Leave a Comment