एसबीए डेस्क
देश में भले ही चारो तरफ स्वच्छता की बात हो रही हो, लेकिन सच्चाई यह है कि अभी भी स्वच्छता के लिए बहुत कुछ करना बाकी है। देश के आधे से अधिक आंगनवाड़ी केन्द्रों में शौचालय की व्यवस्था नहीं है। इस बाद की पुष्टि सरकार न राज्यसभा में एक प्रश्न के उत्तर में दिया है। सरकार न बताया है कि 31 मार्च, 2014 को देश में 1342146 कार्यरत आंगनवाड़ी केन्द्र थे, जिनमें से 648320 आंगनवाड़ी केन्द्रों में शौचालय है और बाकी 693826 केन्द्र बिना शौचालय के हैं।
इस बावत केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती मेनका संजय गांधी ने राज्यसभा में एक तारांकित प्रश्न के उत्तर में सूचना दी कि आंगनवाड़ी केन्द्रों में शौचालय बनाना अभी हाल ही में आईसीडीएस के कार्यक्रम का हिस्सा बन गया है। पूर्वोत्तर राज्यों के अलावा आईसीडीएस के पुनर्गठन और उसकी मजबूती से पहले आंगनवाड़ी केन्द्र भवनों का निर्माण इस योजना का हिस्सा नहीं था। पुनर्गठित और मजबूत आईसीडीएस 4.50 लाख रुपये प्रति इकाई की दर से दो लाख आंगनवाड़ी केन्द्र के भवनों के निर्माण को मंजूरी दी गई है। आंगनवाड़ी केन्द्र भवन में शौचालय का निर्माण उसका एक अंतर निहित भाग है। एक लाख रुपये प्रति इकाई की दर से दो लाख आंगनवाड़ी केन्द्रों के भवनों के उच्चीकरण का कार्य भी किया गया है। राज्य सरकारों को निर्देश जारी कर कहा गया है कि जहां कही शौचालय उपलब्ध न हो, ऐसे आंगनवाड़ी केन्द्र के उच्चीकरण में कम से कम एक शौचालय के निर्माण को मंजूरी दी जाए। आईसीडीएस के तहत एक कनवर्जेंस हिस्सेदार पेयजल आपूर्ति विभाग को संपूर्ण स्वच्छता अभियान और राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के तहत आंगनवाड़ी केन्द्रों को जल सुविधाएं प्रदान करनी होगी।