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भारत के लिए ‘बीट प्‍लास्टिक पॉल्‍यूशन’’ मात्र नारा नहीं, बल्कि इसका अर्थ पर्यावरण के हित में कार्य करना है:डॉ हर्षवर्धन 

विश्‍व पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्‍या पर राज्‍य पर्यावरण मंत्री सम्‍मेलन का उद्घाटन हुआ

नई दिल्ली/4.06.18
राष्‍ट्रीय और अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर के सभी हितधारकों से पर्यावरण की बेहतरी के लिए कार्य करने का आग्रह करते हुए केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ.हर्षवर्धन ने कहा कि भारत के लिए ‘बीट प्‍लास्टिक पॉल्‍यूशन’’ मात्र नारा नहीं, बल्कि इसका अर्थ पर्यावरण के हित में कार्य करना है। उन्‍होंने कहा कि पर्यावरण सुरक्षा न केवल तकनीकी प्रक्रिया है, बल्कि यह नैतिक मुद्दा है। विश्‍व पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्‍या पर आज यहां राज्‍य पर्यावरण मंत्रियों के सम्‍मेलन में उद्घाटन संबोधन देते हुए डॉ.हर्षवर्धन ने बताया कि प्रतिदिन 25000 टन प्‍लास्टिक का कचरा पैदा होता है। उन्‍होंने कहा कि विकसित देशों को प्रौद्योगिकी और वित्‍तीय सहायता प्रदान करनी चाहिए तथा पर्यावरण संबंधी मुद्दों पर अपने अनुसंधान साझा करने चाहिए। उन्‍होंने बल दिया कि ऐसा कोई भी व्‍यर्थ पदार्थ नहीं है जिसे धन में परिवर्तित न किया जा सके। डॉ.हर्षर्धन ने काशीपुर संयंत्र का उदाहरण दिया, जहां 10 टन जैव ईंधन को 3000 लीटर इथेनॉल में परिवर्तित किया गया है। पर्यावरण मंत्री ने पृथ्‍वी के निश्चित संसाधनों का विवेकपूर्ण ढंग से इस्‍तेमाल करने की आश्‍वयकता पर बल दिया, ताकि हम अपने गौरवशाली अतीत में लौट सकें। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, “अगर प्रत्‍येक भारतीय प्रतिदिन पर्यावरण अनुकूल एक कार्य करे, तो देश में क्रांतिकारी परिवर्तन लाया जा सकता है”। उन्होंने राज्य के पर्यावरण मंत्रियों से आग्रह किया कि वे लोगों को पर्यावरण अनुकूल कार्य कर छोटे सामाजिक आंदोलन के लिए वातावरण तैयार करने को प्रोत्साहित करें। उन्‍होंने कहा कि अगर सभी लोग पूरे मन से सामूहिक रूप से कार्य करें, तो पर्यावरण के क्षेत्र में भारत प्रत्‍येक मानदंड पर शीर्ष स्‍थान पर पहुंच सकता है। पर्यावरण मंत्री ने बताया कि पर्यावरण मंत्रालय में मूलभूत परिवर्तन किए गए हैं और राज्‍यों को अधिकार सौंपे गए हैं।
इस अवसर पर अपने संबोधन में राज्‍य मंत्री डॉ. महेश शर्मा ने देश में प्‍लास्टिक के इस्‍तेमाल के कारण होने वाले प्रदूषण और इससे भविष्‍य की पीढ़ी के लिए उत्‍पन्‍न हो रही समस्‍याओं पर चिंता व्‍यक्‍त की। गांधी जी के ‘स्‍वच्‍छता ही धर्म है’ के विचार को याद करते हुए डॉ. शर्मा ने कहा कि ‘बीट प्‍लास्टिक पॉल्‍यूशन’ विषय की भावना भी यही है। प्रधानमंत्री के प्‍लास्टिक का केवल एक तरीके का इस्‍तेमाल समाप्‍त कर 6 आर में परिवर्तित करने के मंत्र के कार्यान्‍वयन का समर्थन करते हुए डॉ.महेश शर्मा ने प्‍लास्टिक की समस्‍या से निपटने में राज्‍य के सभी हितधारकों की सहयोगात्‍मक भूमिका के महत्‍व पर बल दिया। ये 6 आर – रिडयूज, रिसाइकिल, रियूज, रिट्रीव, रिकवर और रिडिजाइन हैं।
संयुक्‍त राष्‍ट्र पर्यावरण के कार्यकारी निदेशक श्री एरिक सोल्हिम ने अपने संबोधन में कहा कि भारत में केवल सरकार की ओर से ही नहीं, बल्कि जनता को भी प्रयास करने की आवश्‍यकता है। इस्‍तेमाल किए गए प्‍लास्टिक की रिसाइकिलिंग करने का समर्थन करते हुए उन्‍होंने सुझाव दिया कि परिहार्य कार्य के लिए प्‍लास्टिक के इस्‍तेमाल से बचना चाहिए। उन्‍होंने कहा, ‘हमें पर्यावरण को नागरिक मुद्दा बनाना चाहिए। संयुक्‍त राष्‍ट्र के वरिष्‍ठ प्रतिनिधि ने कहा कि पर्यावरण शर्तों का पालन करने के लिए विश्‍वविद्यालयों को छात्रों के लिए नियम और कानून बनाने चाहिए। उन्‍होंने आश्‍वासन दिया कि संयुक्‍त राष्‍ट्र का नेतृत्‍व पर्यावरण के लिए अपनाए गए भारतीय तरीकों को विश्‍व में पहुंचाने में सहायता करेगा।
भारत के कई उदाहरण देते हुए श्री सोल्हिम ने कहा कि केरल की ऊर्जा दक्षता को विश्‍वभर में अपनाया जाना चाहिए। उन्‍होंने महाराष्‍ट्र और तेलंगाना में बिजली से चलने वाले वाहनों के इस्‍तेमाल का उदाहरण देते हुए कहा कि इनका इस्‍तेमाल सभी देशों में होना चाहिए। उन्होंने इस वर्ष के विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर देश में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करने के लिए संगठन की सराहना की और कहा कि ऐसे सम्मेलन पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण हैं।
बिहार के उप मुख्‍यमंत्री श्री सुशील कुमार मोदी ने अपने संबोधन में पर्यावरण से जुड़े कई मुद्दे उठाएं। उन्‍होंने सुझाव दिया कि ईंट भट्ठों में ईंट पकाने से होने वाले कार्बन उत्‍सर्जन को कम करने के लिए ‘जिगजैग तकनीक’ अपनानी चाहिए। उन्‍होंने कहा कि सीएएमपीए कोष के नियम जल्‍द से जल्‍द अधिसूचित किए जाने चाहिए, ताकि राज्‍य सरकारें इस कोष का उपयोग कर सकें।
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में सचिव श्री सी के मिश्रा ने अपने स्‍वागत संबोधन में कहा कि अगर इस प्रकार के प्रयास हमेशा होते रहें तो सभी प्रतिबद्धताएं पूरी हो सकती हैं और पर्यावरण की दृष्टि से राष्‍ट्र बेहतर बन सकता है।
इस अवसर पर पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के वन विभाग में महानिदेशक और विशेष सचिव श्री सिद्धांत दास, मंत्रालय में अपर सचिव श्री ए के जैन, मंत्रालय और अन्‍य मंत्रालयों/विभागों के वरिष्‍ठ अधिकारी और अधिकारी तथा संयुक्‍त राष्‍ट्र पर्यावरण के प्रतिनिधि, राज्‍य के पर्यावरण मंत्रियों के साथ ही राज्‍य सरकारों के वरिष्‍ठ अधिकारी और अधिकारी उपस्थित थे।
ई.के.जानकी अम्‍मल राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार
उद्घाटन समारोह के दौरान वर्गीकरण विज्ञान पर ई.के.जानकी अम्‍मल राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार भी प्रदान किए गए। पुरस्‍कार के तौर पर 5 लाख रूपये नकद, एक स्‍क्रॉल और पदक प्रदान किए गए। निम्‍नलिखित व्‍यक्तियों को पुरस्‍कार प्रदान किए गए।
(i) वनस्‍पति वर्गीकरण के लिए डॉ.एस आर यादव – (डॉ यादव, कोल्हापुर के शिवाजी विश्वविद्यालय में वनस्‍पति शास्‍त्र विभाग में वैज्ञानिक हैं);
(ii) प्राणी वर्गीकरण के लिए डॉ. पी टी चेरियन (डॉ चेरियन प्राणी शास्त्र विभाग, त्रिवेंद्रम में प्रधान अनुसंधानकर्ता हैं);
(iii) माइक्रोबियल वर्गीकरण के लिए डॉ. एस शिवाजी – (डॉ एस शिवाजी हैदराबाद से हैं।
 
बुक लॉच
इस अवसर पर डॉ. हर्षवर्धन, डॉ. महेश शर्मा और अन्‍य गणमान्‍यों ने राज्‍य पर्यावरण रिपोर्ट 2015 का विमोचन भी किया गया साथ ही नेशनल ज्‍योग्राफिक की प्‍लास्टिक कवर मुक्‍त पत्रिका (भारत, अमरीका और ब्रिटेन के संस्‍करण) का भी विमोचन किया गया।

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