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नई बहस : फार्मासिस्ट चाहते हैं दवा के रैपर में बदलाव

  • दवा के रैपर पर लिखी चेतावनी से फार्मासिस्टों को एतराज

  • डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्सन के साथ फार्मासिस्ट द्वारा वितरण वाली बात भी जोड़ी जाए

 
दवा के रैपर पर कई चीजें अंकित होती हैं मसलन दवा का नाम, जेनरिक नेम, मात्रा, फार्मूला, निर्माता कंपनी, बैच नंबर, उत्पादन व एक्सपायरी की तिथि और मूल्य जिस पर आम आदमी का ध्यान सहज जाता है! पर इनके अलावा घेरे में जो चेतावनी लिखी रहती है उस पर शायद ही किसी का ध्यान रहता हो!
Warning :Schedule “H Drug” Drug should be sold on the prescription  of registered medical practitioner only.   दवा पर स्पष्ट चेतावनी अंकित होती है की दवा रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर के प्रिस्क्रिप्सन पर ही बेची जानी चाहिए!  चंद ओटीसी दवा को छोड़ दें तो लगभग हर दवा को शेडूल ड्रग में बांटा गया है जिसे केवल रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर यानी डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्सन पर ही बेचना होता है l  दवा के निर्माण में अन्य चीज़ों के साथ ही दवा की लेबलिंग एक बड़ा हिस्सा है l करीब 90 फीसदी से अधिक दवा प्रिस्क्रिप्सन ड्रग है l  इसे देखते हुए आवश्यक चेतावनी दवा के रेपर पर की जाती रही है।
भारत में यह देखने को मिल रहा है कि यहां पर ज्यादातर दवाएं प्रिस्क्रिप्सन के बिना भी मिल जाती है। छोटी-मोटी बीमारियों का इलाज़ स्वतः ही लोग करना चाहते हैं। कई बार तो मरीज़ दवा बिक्रेता से ही सलाह लेकर दवाइयां खरीद लेता है। यहाँ दुकानदार अपनी विक्री बढ़ाने के चक्कर में प्रिस्क्रिप्सन की मांग नहीं करता दूसरी तरफ मरीज़ को डॉक्टर और जांच का खर्च बच जाता है !
ड्रग एंड कास्मेटिक एक्ट एवं फार्मेसी एक्ट में यह स्पष्ट प्रावधान है की दवा रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट के द्वारा ही वितरित की जानी चाहिए गैर फार्मासिस्ट द्वारा दवा वितरण करना गैर क़ानूनी है। विदेशों में दवा के रख रखाव से लेकर वितरण तक का कार्य केवल फार्मासिस्ट ही करते हैं कई देशों में फार्मासिस्ट को डॉक्टरों की तरह प्रिस्क्रिप्सन लिखने के अधिकार दिए गए हैं! वही भारत जैसे देश में ड्रग एक्ट कॉलेज की किताबों और ड्रग डिपार्टमेंट की आलमारियों में खो कर रह गए हैं !
वर्तमान में जहाँ ड्रग एंड कास्मेटिक एक्ट, फार्मेसी एक्ट और फार्मेसी प्रैक्टिस रेगुलेशन को धरातल पर लागू करने को लेकर यूपी, छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात, झारखण्ड, महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में आंदोलन हो रहे है ! अब तो सरकारी व गैर सरकारी अस्पतालों में फार्मासिस्ट द्वारा दवा वितरण कार्य के साथ साथ अब फार्मासिस्टों ने दवा के रैपर पर भी फार्मासिस्ट द्वारा दवा वितरण करने की हिदायत छापने की मांग कर एक नई बहस छेड़ दी है !
दवा की पैकिंग और लेबलिंग भी फार्मेसी का अहम हिस्सा है ! फार्मासिस्ट अपनी पढाई में पैकिंग और लेबलिंग को लेकर भी अध्ययन करते हैं! विश्व भर में फार्मासिस्ट दवा के जन्मदाता कहे जाते हैं वही भारत जैसे देश में आज भी फार्मासिस्ट अपनी एक अदद पहचान के लिए संघर्ष कर रहे हैं!
क्या चाहते हैं फार्मासिस्ट
फार्मासिस्ट एक्टिविस्ट विनय कुमार भारती ने बताया कि जिस तरह दवा पर हिदायत अंकित रहती है की दवा केवल रजिस्टर्ड मेडिकल प्रेक्टिशनर ( डॉक्टर ) के प्रिस्क्रिप्सन पर ही बिकनी चाहिए!  जबकि एक्ट में प्रावधान यह भी तो है की दवा का वितरण/ बिक्री केवल रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट की देखरेख में ही होनी चाहिए l सरकारों ने हमेशा से ही फार्मासिस्ट को हाशिये पर रखा है यहाँ कोई भी दवा बड़ी ही आसानी से बाँट लेता है अगर सरकार डॉक्टर वाली चेतावनी के साथ फार्मासिस्ट से दवा लेने के निर्देश अंकित करे तो मरीज़ गैर प्रशिक्षित लोगों के बजाय फार्मासिस्ट से परामर्श ले सकेंगे! फार्मेसी प्रैक्टिस रेगुलेशन को स्थापित करने में काफी सहूलियत होगी और सुरक्षित तरीके से दवा वितरण होगा। हमारी मांग है की दवा के रैपर पर लिखी चेतावनी में  डॉक्टर के  प्रिस्क्रिप्सन और फार्मासिस्ट की देखरेख में ही दवा बितरण की चेतावनी भी अंकित की जाए  “Drug should be sold under supervision of registered pharmacist”.
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2 comments

BHUPENDRA KUMAR October 27, 2015 at 4:40 pm

Indian Pharmacist Association (IPA) has written to DCGI for amending the D & C Act. IPA demanded to include warning as under.
“To be sold by a Registered Pharmacist only on the prescription of a Registered Medical Practitioner.”

Reply
Brijesh Shukla October 27, 2015 at 7:43 pm

Pharmacist.

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