अनंत कुमार ने जोर देकर कहा, ‘जीवन रक्षक दवाओं की कीमतें घटी हैं’
सरकार चाहे जितना दावा कर ले कि दवा की कीमतों मेें कमी आ रही है, वह उस समय तक दिखावा है, जब तक दवा मूल्य निर्धारण का फार्मूला बाजार आधारित है। यदि सरकार सच में दवाइयों के दाम को कंट्रोल करना चाहती है तो उसे लागत आधारित फार्मूला पर दवाइयों के मूल्य निर्धारित करना चाहिए जैसा कि डीपीसीओ-1995 के तहत होता था। संपादक
रसायन व उर्वरक मंत्री अनंत कुमार ने कहा है कि वर्तमान सरकार के सत्ता में आने के छह माह के भीतर 175 और दवाओं एवं फॉर्मूलेशंस को दवा नियंत्रण के दायरे में लाया गया है तथा उनकी कीमतें घट गई हैं। आज लोकसभा में लाए गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर जारी बहस के दौरान अपने जवाब में श्री अनंत कुमार ने कहा कि यह तथ्य निश्चित तौर पर अप्रत्याशित है कि गत 26 मई को फॉर्मूलेशंस एवं दवाओं की संख्या 440 थी, जबकि आज दवा मूल्य नियंत्रण के दायरे में कुल मिलाकर 617 दवाएं हैं।
उन्होंने कहा कि जिन दवाओं की कीमतें घटी हैं उनमें से 47 दवाएं कैंसर के इलाज में काम आती हैं। इसी तरह डायबिटीज की 22 दवाओं, एड्स की 19 दवाओं और हृदय रोग से जुड़ी 84 दवाओं की कीमतें घट गई हैं। इन्हें मूल्य नियंत्रण के दायरे में लाया गया है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि दवाओं की कीमतें आसमान पर पहुंचने की बात तो छोड़ ही दें, ऐसी कोई भी दवा नहीं है जिसकी कीमत बढ़ी है।
श्री कुमार ने कहा कि राष्ट्रीय दवा मूल्य निर्धारण के कामकाज में भारत सरकार कुछ भी हस्तक्षेप नहीं कर रही है। यह एक स्वतंत्र प्राधिकरण है। उन्होंने कहा कि मूल्य नियंत्रण का सिलसिला जारी है और इससे पीछे हटने का कोई भी कदम नहीं उठाया गया है।