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अपनी बदहाली पर रो रहा है 90लखिया होम्योपैथी लैब, पांच वर्ष गुजर गए एक भी कर्मचारी नहीं बहाल हुआ

प्रयोगशाला की बिल्डिंग के निर्माण में करीब 90 लाख रुपये की लागत आई थी उद्द्येश था कि पिछड़ती प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति होम्योपैथी को एक नया मुकाम देना। लेकिन इसे अधिकारियों की लापरवाही ही कहेंगे कि 5 साल बीत जाने के बाद भी अभी तक इस प्रयोगशाला में रिसर्च के लिए पदों का सृजन तक नहीं हो पाया है।

 
आधार में अटका होमिओपैथी लैब का प्रोजेक्ट
लखनऊ/25.10.15
लखनऊ में होम्योपैथिक दवाओं पर रिसर्च की भारत में दूसरे नंबर की प्रयोगशाला अभी तक शुरू नहीं हो पायी है। प्रयोगशाला बिल्डिंग के बने करीब 5 साल बीत चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद भी अभी तक ये प्रयोगशाला शुरू नहीं हो पाई है।
प्रयोगशाला के लिए लाखों की लागत से बनी चार मंजिला बिल्डिंग बनकर तैयार है। बिल्डिंग में एयर कंडीशन से लेकर पंखों तक लगाए गए हैं। इसके साथ ही प्रयोगशला के लिए उपकरणों को भी खरीदा जा चुका है, लेकिन प्रयोगशाला में रिसर्च के लिए कर्मचारियों की भर्ती नहीं हो पाई है। लापरवाही का आलम ये है कि अभी तक इस प्रयोगशाला में काम करने वाले पदों का सृजन ही नहीं हुआ है। ऐसे में होम्योपैथिक चिकित्सा की बदहाल स्थिति के बारे में अंदाजा लगाया जा सकता है।
बताते चलें कि साल 2009-10 में सिटी स्टेशन रोड स्थित उत्तर प्रदेश होम्योपैथिक मेडिसिन बोर्ड में होम्योपैथिक दवाओं पर रिसर्च के लिए प्रयोगशाला का निर्माण करवाया गया था। इससे पहले यहां होम्योपैथी की पढ़ाई करने वाले छात्रों का हॉस्टल था, जिसे गोमतीनगर स्थित होम्योपैथी मेडिकल कॉलेज में शिफ्ट कर दिया गया था।
नहीं है सुरक्षा-व्यवस्था
सिटी स्टेशन रोड स्थित होम्योपैथिक मेडिसिन बोर्ड में बनी प्रयोगशाला में सुरक्षा-व्यवस्था नहीं है। चार मंजिले शीशे टूटे पड़े हैं। यहां रहने वाले कर्मचारियों का कहना है कि यहां से 4 महीने पहले कई एयर कंडीशन चोरी हो चुके हैं क्योंकि यहां पर किसी सुरक्षा गार्ड की तैनाती नहीं की गई है। बिल्डिंग में लगे खिड़कियों के शीशे टूटे पड़े हैं। इससे सरकार की ओर से प्रयोगशाला के लिए दिए गए बजट का दुरुपयोग है।
नीचे चलती है ओपीडी
होम्योपैथिक प्रयोगशाला के मैनगेट से जाने पर नीचे स्थित दो कमरों में ओपीडी चलती है। यहां पर आने वाले मरीजों की संख्या लगातार घटती जा रही है। यहां पर मौजूद एक डॉक्टर ने बताया कि मीठी गोली चिकित्सा पद्धति से इलाज कराने वाले मरीजों की संख्या लगातार घटती जा रही है। इसका कारण है कि लोगों में इस चिकित्सा के बारे में जानकारी ही नहीं है। इसके अलावा केंद्र सरकार की ओर से उत्तर प्रदेश मेडिसिन बोर्ड जरूर बना दिया गया है, लेकिन बोर्ड के लापरवाही अधिकारियों के कारण प्राचीन चिकित्सा पद्धति को नुकसान हो रहा है।
उत्तर प्रदेश होम्योपैथी मेडिसिन बोर्ड के सचिव डॉ विक्रमा प्रसाद ने बताया कि ये भारत में दूसरे नंबर की प्रयोगशाला है। अभी तक किसी कारणवश प्रयोगशाला में पदों की नियुक्ति नहीं हो पाई है। इसके कारण अभी तक प्रयोगशाला की शुरुआत नहीं हो पाई हैं। जल्द से जल्द पदों को सृजित कर प्रयोगशाला को शुरू किया जाएगा।

साभार : पत्रिका

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