अभी अभी छत्तीसगढ़ ने बहुत गर्व और गौरव से अपना स्थापना दिवस मनाया है। लेकिन जिस वक्त राजधानी अपने होने के जश्न में डूबी थी उसी वक्त राजधानी रायपुर के सबसे बड़े भीमराव अंबेडकर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मानवता को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई। पोस्टमार्टम विभाग (चीरघर) के कुछ भ्रष्ट कर्मचारी शनिवार ने चंद पैसों के लिए इंसानियत को शर्मसार कर दिया और लाशों के सौदागर बन गये।
Himanshu Sharma, Raipur Se
जेल के एक कैदी की यहां लापरवाही और उचित इलाज के अभाव में मौत हो गई थी। गरीब कैदी की मौत के बाद जब उसके परिजन लाश लेने चीरघर पहुंचे तो कर्मचारियों ने लाश को सीलने के नाम पर उनसे सौदेबाजी शुरू कर दी। चीरघर के कर्मचारियों को जब मृतक के परिजनों ने लाश सिलने के लिए 500 रुपए नहीं दिए, तो उन्होंने पोस्टमार्टम के बाद कटी-फटी हालत में लाश बगैर सिले परिजनों को सौंप दी। इस घटना से सदमे में आए परिजन खुद ही लाश कपड़े में लपेटकर अपने साथ ले गए।
प्रदेश के सबसे बड़े डॉ. भीमराव आंबेडकर अस्पताल में अंबिकापुर सेंट्रल जेल में हत्या के अपराध में उम्रकैद की सजा काट रहे लगन राम पिता उजित राम को कैंसर के उपचार के लिए दाखिल कराया गया था। सरगुजा के कालीपुर में रहने वाला लगन 1 अक्टूबर को अस्पताल में इलाज के लिए दाखिल कराया गया था। कैदी का पूरा शिश्न निकालकर वैकल्पिक मूत्र द्वार बनाया जाना था, लेकिन इसी बीच अस्पताल में जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल हो गई। इससे उसका आॅपरेशन टलता रहा। इसी दौरान 30 अक्टूबर को उसने दम तोड़ दिया। मृतक के परिजनों का कहना है, घटना के बाद से ही उन पर पोर्टमार्टम करने वाले कर्मचारी 500 रुपए रिश्वत देने का दबाव बनाते रहे। इसके चलते पोस्टमार्टम की प्रक्रिया भी नहीं हो पा रही थी। दबाव के बाद जब 1 नवंबर की शाम करीब 6 बजे उसका पोस्टमार्टम किया गया, तो फिर कर्मचारियों ने उन पर रुपए देने का दबाव बनाया। जब इसके बाद भी उन्हें रिश्वत नहीं दी गई, तो उन्होंने पोस्टमार्टम रूम में ही लगन राम की कटी-फटी लाश फेंक दी और कहा, जाओ इसे खुद ही बांधो और ले जाओ। इस पर मृतक के परिजन कपड़े में लपेटकर लगन राम की लाश ले गए।
अपने पिता की लाश का इस तरह अपमान देखकर मृतक लगन राम का बेटा अरविंद कुमार अधीर हो गया। उसने बिलखते हुए कहा- अस्पताल में मेरे पिता का समय पर आॅपरेशन नहीं किया गया, जिसके कारण उनकी मौत हो गई। वहीं पोस्टमार्टम करने वाले कर्मचारी मुझसे 500 रुपए रिश्वत की मांग कर रहे थे। जब मैंने उन्हें रुपए नहीं दिए, तो उन्होंने मेरे पिता की लाश को फर्श पर फेंक दिया। मृतक की लगातार नाजुक हो रही स्थिति को देखते हुए जेल प्रशासन ने भी आंबेडकर अस्पताल के सर्जरी विभाग को आॅपरेशन करने की अनुमति दे दी थी, लेकिनबावजूद बंदी मरीज का समय रहते आॅपरेशन नहीं हो सका और उसकी मौत हो गई। अस्पताल की जन संपर्क अधिकारी शुभ्रा ठाकुर का कहना है कि मामला बेहद गंभीर है। इस संबंध में वरिष्ठ अधिकारियों को जानकारी दे दी गई है। मामले की जांच के साथ ही दोषी के खिलाफ कार्रवाई भी होगी।
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