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फार्मा सेक्टर / Pharma Sector

यूपी में एक बार फिर केमिस्ट और फार्मासिस्ट आमने सामने

बदाऊं (यूपी)/15.01.2016
यूपी में एक बार फिर केमिस्ट और फार्मासिस्ट आमने सामने हो गए है। मामला यूपी में बरसों से चल रहे गैर क़ानूनी दवा दुकानो और अवैध ड्रग लाइसेंस प्रकरण से जुड़ा है। हाल में ही यूपी सरकार ने ड्रग लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया ऑनलाइन कर दी। जिससे पचास हज़ार से भी ज्यादा गैर क़ानूनी दवा दुकानो पर बंद होने का संकट मंडरा गया। इसे लेकर दवा कारोबारियों में हड़कंप मच गया। आनन फानन में दवा कारोबारियों ने ऑनलाइन सिस्टम का विरोध करने के साथ ही फार्मासिस्ट की अनिवार्यता ख़त्म करने की मांग कर दी। केमिस्ट संगठनों की इस मांग को लेकर सोशल मीडिया में खूब बबाल मचा और  फार्मासिस्टों ने केमिस्ट संगठनो के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। अलग अलग संगठन चला रहे फार्मासिस्ट एकजुट हो गए। वहीँ फार्मासिस्टों द्वारा की जा रही इस घेराबंदी से ड्रग डिपार्टमेंट के हाथ पाँव फूल गए है। डिपार्टमेंट हालात से निपटने की तैयारी कर रहा है। इस पुरे प्रकरण पर बात करते हुवे फार्मासिस्ट फाउंडेशन के प्रमुख अमित श्रीवास्तव ने कहा है ड्रग लाइसेंस में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुवा है। ऑनलाइन होने से केमिस्ट संगठन के नेताओ और ड्रग ऑफिस के भ्रष्ट अधिकारीयों के बीच सांठ गाँठ की परतें खुल रही है।
17 जनवरी को केमिस्ट संगठन ने बदाऊं ज़िले में सभा आयोजित की है. वही उसी दिन फार्मासिस्ट संगठनो ने महारैली आयोजित किया है। रैली का आरंभ हाइडिल ग्राउंड से सुबह 8 बजे से  होगा। अभिनव श्रीवास्तव ने बताया की 20 जनवरी को भी कानपूर में प्रदर्शन होना है.
आइए देखते है किसने क्या कहा:

“जब तक फुटकर मेडिकल पर अप्रशिक्षित व्यकित दवा वितरण करता रहेगा तब तक जनसाधारण का स्वास्थ खतरे में है” – संजय भारद्वाज, अध्यक्ष प्रो इंडिया
“फार्मेसी विषय का वर्तमान और भविष्य सुधारना केवल और केवल फार्मासिस्ट के ही हाथ में हैl” प्रोफेसर संदीप सिंह
“अब समय आगया है दवा व्यापार को फार्मासिस्टों को अपने हाथ में लेना ही होगा जिससे कि जनता को सही दवा और सही मात्रा दी जा सके। – उदय कुमार फार्मासिस्ट फाउंडेशन 
“सरकार हमारे लिये बहुत सी योजनायें ला रही है पर इन योजनाओ कोें बताना और फार्मासिस्टों तक पहुचाना भी आवश्यक है “ – अरविन्द, ग्रेट फार्मासिस्ट वेलफेयर सोसाइटी 

फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के ऑनलाइन होने से फ़र्ज़ी रूप से एक फार्मासिस्ट के कई जगह कार्यरत होने का भंडाफोड़ हुवा था। एक आंकड़े के मुताबिक यूपी के करीब 65 हज़ार फार्मासिस्ट है जिसमे करीब 15 हज़ार फार्मासिस्ट सरकार को अपनी सेवायें दे रहे  है। हज़ारों फार्मासिस्ट राज्य के बाहर रहते है, जिनमे अधिकांश फार्मासिस्ट निजी कंपनियों में काम करते है। यूपी की लगभग अस्सी फीसदी दवा दुकानो में फार्मासिस्ट मौजूद नहीं है जो ड्रग एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट और फार्मेसी एक्ट का उलंघन है। प्रदेश भर में लगभग एक लाख दवा की दुकानें है। ग्रामीण क्षेत्रों में कई हज़ार दवा दुकान बगैर किसी ड्रग लाइसेंस के चल रही है। औषधी नियंत्रण ने जो डाटा वेबसाइट पर डाला है उसमे कई गलतियां है। खुद ड्रग कंट्रोलर इसे स्वीकार कर चुकें हैं।
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…तो फार्मासिस्टों पर लाठीचार्ज की तैयारी थी।

 
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1 comment

Prince pharmacy January 17, 2018 at 12:02 am

Sir
chemist ko dikha Dena h ki pharmacist
Agar apni aukat me utar aai to kya kr sakte h…..

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