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दवाइयों की गुणवत्ता पर है विशेष नज़रःडॉ. हर्षवर्धन

  • विश्व स्तरीय स्वास्थ्य सुविधाएं भारत में भी संभव...!
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य में गुणवत्ता विषय पर पर दो दिवसीय सम्मेलन में बोले स्वास्थ्य मंत्री

Ashutosh Kumar Singh for SwasthBhart.in

अब लगता है कि नई सरकार को यह बात समझ मेें आ गयी है कि देश की जनता को बहुत दिनों तक सरकारें मुर्ख नहीं बना सकती...
अब लगता है कि नई सरकार को यह बात समझ मेें आ गयी है कि देश की जनता को बहुत दिनों तक सरकारें मुर्ख नहीं बना सकती…

भारत में दवाइयों में हो रही धांधली पर अब स्वास्थ्य मंत्रालय की भी नज़र गयी है। स्वास्थ्य मंत्री देश को गुणवत्तापरक स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने की बात दोहरा रहे हैं। जिन बातों की ओर स्वस्थ भारत अभियान पिछले तीन वर्षों से देश का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास कर रहा है, उस दिशा में सरकार की नीति सकारात्मक दिख रही है। केन्‍द्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने आज कहा कि राष्‍ट्रीय स्‍वास्‍थ्‍य एश्‍योरेन्‍स मिशन (NHAM) के तहत सरकार समग्र गुणवत्‍तापरक मानकों तथा उपभोक्‍ताओं की सुरक्षा पर नजर रखने के लिए एक विनियामक प्राधिकरण संस्‍था बनायेगी, जिसके पास समस्‍त अधिकार होंगे।
गुणवत्ता पर विशेष ध्यान
NHAM स्‍वास्‍थ्‍य की पहुंच के मामले में वृहद आकार का होगा तथा सार्वभौमिक स्‍वास्‍थ्‍य बीमा इसमें एक सुदृढ़ घटक होगा। जहां एक ओर भारत संख्‍या के मामले में नए युग में प्रवेश करेगा, वहीं दूसरी ओर गुणवत्‍ता से भी कोई समझौता नहीं किया जाना चाहिए। सार्वजनिक स्‍वास्‍थ्‍य में गुणवत्‍ता पर स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन को संबोधित करते हुए स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने कहा कि गुणवत्‍ता और संख्‍या दोनों ही परस्‍पर बने रहने चाहिए।
NHAM को जिम्मेदार बनाया जायेगा
डॉ. हर्षवर्धन ने यह खुलासा किया कि प्रो. रंजीत राय चौधरी की अध्‍यक्षता वाले विशेषज्ञ निकाय ने यह सिफारिश की है कि यदि लोगों को सुविधाएं प्रदान करने में कमियां रहती हैं तो एनएचएएम को इसके लिए जवाबदेह बनाना चाहिए। यही कारण है कि उपभोक्‍ता सुरक्षा का सिद्धांत लागू किया जाएगा।
डॉ. हर्षवर्धन ने यह स्वीकारा कि आज सरकारी स्वास्थ्य सुविधाएं निजी से कमतर हैं। इस बावत उन्होंने कहा कि निजी सुविधा की पहचान विश्‍वसनीयता भरी और किसी सरकारी सुविधा की पहचान सुस्‍ती एवं लापरवाही भरी क्‍यों होनी चाहिए? अब नई संस्‍कृति को अपनाने का वक्‍त आ गया है। मैं यह चाहता हूं कि जब एनएचएएम पर अगले साल अमल होगा तो पारदर्शिता, दक्षता, करुणा की भावना और जवाबदेही जन स्‍वास्‍थ्‍य प्रणाली के प्रमुख आधार स्‍तंभ बनें।
स्वच्छता अंदर-बाहर दोनों जरूरी
प्रधानमंत्री द्वारा 02 अक्‍टूबर को शुरू किए गए ‘स्‍वच्‍छ भारत अभियान’ पर अमल किया जाएगा जो नई संस्‍कृति का केन्‍द्र बिन्‍दु रहेगा। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि स्‍वच्‍छ भारत केवल सांकेतिक स्‍वच्‍छता के बारे में ही नहीं है। इसका अर्थ आंतरिक व बाह्य दोनों स्वच्छता से है। हम इस अभियान को जागरूकता के तौर पर लें तथा हमारी प्रणाली में सकारात्मक परिवर्तन लाएं जिससे कि हम विश्‍व को यह सिद्ध कर सकें कि भारत के पास भी विश्‍व स्‍तर की सार्वजनिक स्‍वास्‍थ्‍य प्रणाली हो सकती है।
नरेद्र मोदी की तारीफ
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि श्री नरेन्‍द्र मोदी से पहले किसी भी प्रधानमंत्री ने सरकारी सेवा मुहैया कराने की प्रणालियों और नागरिकों की उम्‍मीदों के बीच की खाई को पाटने की जरूरत नहीं समझी थी। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, ‘हमें आज एक ऐसे प्रधानमंत्री पर गर्व है जिन्‍होंने अपने जीवन का बड़ा हिस्‍सा एक साधारण नागरिक की तरह जिया है और जो इस बात से पूरी तरह वाकिफ हैं कि सरकारी सेवा प्रदान करने वालों द्वारा आम आदमी की किस तरह से अनदेखी की जाती है।’
मरीजों का फीडबैक महत्वपूर्ण
डॉ. हर्षवर्धन ने रोगियों से फीडबैक लेने के महत्‍व पर जोर देते हुए कहा कि उनका प्रयास रहेगा कि हम स्वास्थ्य सुवधा-सुधार की दिशा में रोगियों व उनके परिवार का फीडबैक लें और उनके अनुभवों के आधार पर सेवाओं में और सुधार लाने की कोशिश करें।
इस सम्मेल में बोलते हुए स्‍वास्‍थ्‍य सचिव लव वर्मा ने बताया कि तकनीकी/क्‍लीनिकल गुणवत्‍तापरक सेवाओं समेत स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं प्रदान करते समय गुणवत्‍ता का अत्‍यंत महत्‍व रहता है। उन्‍होंने कहा कि गलतियों से सीखना तथा प्रणाली में सुधार करते रहने की भी आवश्‍यकता है।

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