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जानिए कैसे एक फेसबुक पोस्ट ने बदल दी स्वस्थ भारत की तस्वीर….

नई दिल्ली/22.06.18
सोशल मीडिया के सार्थक उपयोग की चर्चा आज चारों ओर हो रही है। इस बीच में आज से 6 वर्ष पूर्व स्वस्थ भारत अभियान के राष्ट्रीय संयोजक आशुतोष कुमार सिंह ने अपने फेसबुक पर एक पोस्ट लिखा था। महंगी दवाइयों के खिलाफ लिखा उनका पहला पोस्ट आईवी सेट की कीमतों में मची लूट को लेकर था। उनके पोस्ट को आप नीचे दिए चित्र में देख सकते हैं।

इस पोस्ट में उन्होंने लिखा कि, यह आईवी सेट है, इसे आप मरीजों को ग्लूकोज की बोतल चढ़ाते समय जरूर देखे होंगे…एक तरह से जीवन रक्षक दवाओं में इसका प्रयोग होता है। दुर्भाग्य की बात यह है कि मुम्बई जैसे शहर में इन पाइपों को दवा दुकानदार 100-125 रूपये में बेच रहे हैं…यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि यह पाइप दवा दुकानदारों को 4 रूपये से लेकर 11 रूपये तक में गुणवत्ता के हिसाब से होलसेल मार्केट में मिलती है। आश्चर्य की बात है न!!! 10 रूपये की जीवन रक्षक कैटेगरी की दवा 100 रुपये में यानी 1000 प्रतिशत मुनाफे के साथ बेची जा रही है…कोई है जो इन निकम्मी सरकारों की कुम्भकर्णी नींद से जगा सके….( दवा में भ्रष्टाचार के खिलाफ ऐलान-ए-जंग की पहली किस्त)
इस पोस्ट के अंत में श्री आशुतोष ने इस पोस्ट को दवा में व्याप्त भ्रष्टाचार की पहली किस्त बताया था। उसके बाद उन्होंने उसी दिन एक और पोस्ट लिखा। डाक्लोविन प्लस के बारे में। उसे भी आप नीचे देख सकते हैं।

इस पोस्ट में उन्होंने लिखा कि, यह डाक्लोविन प्लस है, भारत में दर्द निवारक के रूप में शायद सबसे ज्यादा बिकने वाली यह दवा है…मार्केट में यह 2 रूपये से लेकर 2.5 रूपये तक प्रति टैबलेट की दर से धड़ल्ले से बिक रही है। एक टैबलेट की होलसेल प्राइस महज पैसा है। यानी 30 पैसे की दवा 200 से 250 पैसे में बिक रही है अर्थात् लगभग 800 % मुनाफा के साथ। इस दवा में दो साल्ट हैं पहला पारासेटामल-500 मि.ग्रा. और डाक्लोफेनेक सोडियम 50 मि.ग्रा.। इसी साल्ट से बनी सैकड़ों दवाएं मार्केट में उपलब्ध हैं, जिनका मूल्य डेढ रूपये से लेकर चार रूपये तक है यानी दूसरे ब्रान्डों की बात करे तो वहां पर भी 500% से 1400% तक का मुनाफा लिया जा रहा है। अरे भाई इन दवाओं का मूल्य निर्धारण कैसे होता है कोई तो बताएं…यह मामला देश के पूरी आबादी से जुड़ा है…कोई तो कुछ बोले…
यहां यह भी ध्यान देने की बात है कि इन दो पोस्टों को क्रमशः 644 और 317 लोगों ने साझा किया। और एक फेसबुक पर महंगी दवाइयों के खिलाफ एक माहौल बना। तब से आशुतोष ने पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा, इस दिशा में लगाता सक्रीय हैं। आज से पांच वर्ष पूर्व आज ही के दिन उन्होंने इस घटना का जिक्र अपने फेसबुक पोस्ट में किया। उस पोस्ट को आप नीचे देख-पढ़ सकते हैं।

 
इस पोस्ट में श्री आशुतोष ने लिखा कि, आज 22 जून है…एक वर्ष गुजर गए, मेरे दिल में उस आग को लगे हुए…अस्पताल में जब मैं अपने दोस्त की बीमार पत्नी के लिए दवा खरीदने गया था…तकरीबन 1000 प्रतिशत मुनाफे के साथ दवा दुकानदार ने दवा दी थी…लाख कहने पर भी एक पैसा कम करने को वह राजी नहीं था…उस समय मैं अंदर से जलने लगा था…सच कहता हूँ, हमेशा से शांत रहने वाला (मैं )एक तरह से पागल-सा हो गया था, अगर मेरे पास कोई हथियार होता तो निश्चित ही मैं कानून की हद को तोड़ गया होता…इस आग में झूलसने के बाद अपनी बात को फेसबुक माध्यम से आपलोगों तक पहुँचाने में जुट गया…बात निकलती गयी…लोग जुड़ते गए और शुरू हो गया ‘स्वस्थ भारत विकसित भारत अभियान’…आप मित्रों का इस पूरे अभियान में जो सहयोग मिला, उससे बहुत सुकून मिला…आप सभी मित्रों का सहयोग इसी तरह मिलता रहे…ताकि इस मुहिम को और आगे बढ़ाया जा सके….।
पिछले 6 वर्षों में स्वस्थ भारत अभियान के अंतर्गत गंगा में बहुत पानी बह चुका है। दवा माफियाओं की मनमानी पर बहुत हद तक अंकुश भी लगा है। उन दिनों श्री आशुतोष ने कुछ और पोस्ट किए थे जो बहुत चर्चित हुए थे। उसे आप नीचे देख सकते हैं।
कॉटन की कीमतों पर आशुतोष का 23 जून 2012 का पोस्ट

डिस्पोजल सिरींज को लेकर श्री आशुतोष की पोस्ट, 23 जून, 2012

 
स्वस्थ भारत अभियान के 6 वर्ष पूर्ण होने पर आशुतोष कुमार सिंह ने फेसबुक मित्रो से क्या कहा आप यहां देख सकते हैं…
 

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