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स्वस्थ भारत (न्यास) ने लिखा पीएम को पत्र, भारत भारत को स्वस्थ बनाने के लिए दिए सुझाव

पत्रांक. SBT/May/30/2019                                                                                                  दिनांकः 30.05.2019

आदरणीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी,

सादर प्रणाम!

स्वस्थ भारत अभियान,स्वस्थ भारत (न्यास) व स्वस्थ भारत यात्रा के साथियों की ओर से आपको पुनः प्रधानमंत्री बनने हेतु शुभकामनाएं प्रेषित कर रहा हूं। आपका राष्ट्र के प्रति समर्पण अनुकरणीय है।

मुझे इस बात की भी खुशी है कि भारत के इतिहास में यह पहला मौका है जब स्वास्थ्य संबंधी कारकों ने चुनाव को इतना प्रभावित किया। स्वास्थ्य के क्षेत्र में किए गए कार्यों को चुनाव में जीत का मंत्र बनाया गया। यह इस बात का प्रमाण है कि आपकी सरकार देश के स्वास्थ्य को लेकर बहुत गंभीर है। और इस गंभीरता की जरूरत भी है। उज्ज्वला योजना से होते हुए प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना के रास्ते आयुष्मान भारत की जो नीतिगत सफर आपकी सरकार ने की है, उसकी मैं तारीफ करता हूं। नई स्वास्थ्य नीति को आपकी सरकार ने अंगीकार किया है। इसके लक्ष्य-निर्धारण भी स्वागत योग्य हैं। इन सबके बीच में देश-समाज भी यह चाहता हैं कि देश स्वस्थ हो। देश के सभी नागरिकों को सस्ती दवा एवं सस्ता ईलाज उपलब्ध हो। इस दिशा में आपकी सरकार द्वारा उठाए गए नीतिगत मामले सही दिशा में हैं लेकिन अभी भी क्रियान्वयन की गति सुस्त है, उसे और तीव्र किए जाने की जरूरत है। एक-एक करके कुछ मुद्दों से मैं आपको वाकिफ़ कराना चाहता हूं।

स्वास्थ्य शिक्षा की पढ़ाई एक विषय के रूप में शुरू हो



किसी भी देश की मजबूती में वहां की स्वास्थ्य एवं शिक्षा-नीति का अहम योगदान रहा है। ऐसे में एक स्वास्थ्य कार्यकर्ता होने के नाते मैं यह चाहता हूं कि देश में प्राथमिक स्तर पर स्वास्थ्य की पढ़ाई शुरू हो। सामान्य ज्ञान के रूप में खुद को सेहतमंद बनाएं रखने के लिए जो जरूरी है, उन तमाम बिन्दुओं के बारे में छात्रों को शुरू से ही अवगत कराया जाए। यह बात मैं इसलिए कह पा रहा हूं क्योंकि अपनी पहली स्वस्थ भारत यात्रा एवं दूसरी स्वस्थ भारत यात्रा के दौरान तकरीबन 3 लाख छात्र-छात्राओं से प्रत्यक्ष रूप से संवाद कर चुका हूं। स्वास्थ्य संदेश फैलाने के लिए 50,000 किमी की ज्यादा की यात्रा देश भर में करने का मौका मिला है। मेरा जो अनुभव है वह कहता है कि देश में प्राथमिक स्तर पर स्वास्थ्य की पढाई होनी चाहिए। बचावात्मक स्वास्थ्य (प्रीवेंटिव हेल्थ) की ओर इसे एक क्रांतिकारी कदम मानता हूं।


पैथी और बीमारी को लेकर स्पष्ट गाइडलाइन बने

देश की स्वास्थ्य व्यवस्था अभी भी अंग्रेजी पैथी के इर्द-गीर्द ही घुम रही है। तकरीबन सभी बीमारियों के लिए लोग सीधे अंग्रेजी चिकित्सक के पास पहुंचते हैं। जबकी ऐसी तमाम बीमारियां हैं जिनका इलाज अंग्रेजी चिकित्सकों के पास नहीं होता है। ऐसे में हमें एक सूची जारी करनी चाहिए जिससे यह स्पष्ट हो कि किस बीमारी का ईलाज आयुष में बेहतर है औऱ किस बीमारी का ईलाज एलोपैथ में बेहतर है। इससे देश की जनता में बीमारी और ईलाज को लेकर जो भ्रम की स्थिति है वह दूर हो जाएगी और उनकी गाढ़ी कमाई की लूट भी नहीं हो सकेगी।


स्वास्थ्य संबंधी जानकारी हेतु एक सिंगल विंडो सूचना केन्द्र बने

अक्सर यह देखने को मिलता है कि स्वास्थ्य को लेकर इतने विभाग, इतने संस्थान काम कर रहे हैं कि सही जानकारी प्राप्त करना एक आम इंसान के लिए बहुत मुश्किल हो जाता है। ऐसे एक ऐसा सूचना तंत्र विकसित हो जो स्वास्थ्य संबंधित तमाम जानकारियों को एक प्लेटफॉर्म से उपलब्ध कराए।

प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना का विस्तार

स्वस्थ भारत (न्यास) की ओर से हमारा यह सुझाव हैं कि लोगों को सस्ती दवाइयां उपलब्ध कराने हेतु प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना को और तीव्रता से विस्तारित किया जाए। इस दिशा में हम चाहते हैं कि देश के प्रत्येक पंचायत में एक जनऔषधि केन्द्र खुले। इसके लिए अगर उस पंचायत में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र है तो वहां पर नहीं है तो सरकारी स्कूल के प्रांगण में भी इस केन्द्र को खोला जा सकता है, जहां से पूरे पंचायत की कनेक्टीविटी रहती है। जनऔषधि केन्द्र खोलने में सबसे बड़ी बाधा फार्मासिस्टों की अनुपलब्धता को बताया जा रहा है। इसके लिए एक सुझाव यह है कि गर सरकार ‘जन-फार्मासिस्ट’ के नाम से एक नया सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करे और तीन महीने जनऔषधि से सबंधित पढ़ाई कराई जाए और 3 महीने प्रैक्टिकल अनुभव के लिए उन छात्रों को किसी जनऔषधि केन्द्र से इंटर्नशीप कराई जाए तो 6 महीने में जनऔषधि केन्द्र चलाने योग्य मैन  पावर को हम तैयार कर सकते हैं औऱ इससे रोजगार भी बढ़ेगा। हां, यह जरूर तय करें कि यह सर्टीफिकेट सिर्फ-और सिर्फ जनऔषधि केन्द्र खोलने के लिए ही इस्तेमाल हो, इसकी वैद्यता बाकी कामों के लिए न हो। ये सारी बाते मैं इसलिए कह पा रहा हूं कि स्वस्थ भारत यात्रा-2 के दौरान पूरे देश में घुमकर जनऔषधि का प्रचार-प्रसार करने का मौका मुझे मिला है।

आयुष्मान भारत का विस्तार हो

जिस समय आपकी पहली सरकार बनी थी उस समय भी मैंने तत्कालिन स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन जी को पत्र लिखकर स्वस्थ भारत के निर्माण की दिशा में कुछ सुझाव दिया था। उस सुझाव में से कुछ पर अमल हुआ है, बहुत कुछ किया जाना बाकी है। मेरी समझ से देश की स्वास्थ्य व्यवस्था को नागरिकों के उम्र के हिसाब से तीन भागों में विभक्त करना चाहिए। 0-25 वर्ष तक, 26-59 वर्ष तक और 60 से मृत्युपर्यन्त। शुरू के 25 वर्ष और 60 वर्ष के बाद के नागरिकों के स्वास्थ्य की पूरी व्यवस्था निःशुल्क सरकार को करनी चाहिए। और इसके लिए इस आयुवर्ग के लोगों को आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत लाया जा सकता है। 26-59 वर्ष तक के नागरिकों को अनिवार्य रूप से राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के अंतर्गत लाना चाहिए। जो कमा रहे हैं उनसे बीमा राशि का प्रीमियम भरवाने चाहिए, जो बेरोजगार है उनकी नौकरी मिलने तक उनका प्रीमियम सरकार को भरना चाहिए। इस सुझाव के पीछे मेरा तर्क सिर्फ इतना है कि यदि देश की उत्पादन शक्ति को बढ़ाना है तो देश के नागरिकों के स्वास्थ्य को सुरक्षित करना ही होगा।

पीसीआई एवं एमसीआई जैसी संस्थानों पर नकेल कसने की जरूरत

भारत की स्वास्थ्य व्यवस्था में चिकित्सक और फार्मासिस्ट का अहम योगदान है। इन दोनों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था क्रमशः फार्मेसी कॉसिल ऑफ इंडिया एवं मेडिकल कॉउंसिल ऑफ इंडिया को लेकर हमेशा से भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं। इन संस्थाओं में पारदर्शिता आए इसके लिए सरकार को अविलंब कार्रवाई करनी चाहिए।

आदर्श स्वास्थ्य व्यवस्था हेतु कुछ अन्य सुझाव

  • प्रत्येक गाँव में सार्वजनिक शौचालय बने।
  • खेलने योग्य प्लेग्राउंड की व्यवस्था हो।
  • प्रत्येक स्कूल में योगा शिक्षक के साथ-साथ स्वास्थ्य शिक्षक की बहाली हो।
  • प्रत्येक पंचायत में जनऔषधि केन्द्र खुले।
  • प्रत्येक गांव में वाटर फिल्टरिंग प्लांट लगे, जिससे शुद्ध जल की व्यवस्था हो सके।
  • सभी कच्ची-पक्की सड़कों के बगल में पीपल व नीम के पेड़ लगाने की व्यवस्था के साथ-साथ हर घर-आंगन में तुलसी का पौधा लगाने हेतु नागरिकों को जागरूक करने के लिए कैंपेन किए जाएं।

प्रधानमंत्री जी, इन तमाम बिन्दुओं के अलावा एक और महत्वपूर्ण बिन्दु है जिस पर आपका ध्यान दिलाना जरूरी है, वह है ड्रग-प्राइस कंट्रोल ऑर्डर-2012-13। इसके अनुसार दवाइयों कि कीमतों को तय करने का मानक बाजार आधारित मूल्य निर्धारण नीति को रखा गया है। जबकि 2012 में भारत सरकार ने संसद में जारी एक रिपोर्ट में कहा था कि दवा कंपनियां 1100 फीसद ज्यादा मुनाफा कमा रही हैं।
ऐसे में जबतक बाजार में उपलब्ध 1100 फीसद की लिक्विडिटी को कम नहीं किया जाएगा बाजार आधारित मूल्य निर्धारण नीति, इन कंपनियों को संगठित लूट की खुली छूट देती रहेगी। और यह काम आपकी 2014 की सरकार आने के ठीक पहले बहुत ही चालाकी के साथ किया गया। हम चाहते हैं इस नीति को आपकी सरकार रिवाइज करें। क्योंकि इस प्रोसेस में सरकार ने तानाशाही दिखाते हुए तमाम स्टेक होल्डरों की बात एवं सुझावों को दरकिनार कर दिया था। डीपीसीओ के ड्राफ्ट पर जो सुझाव आए थे, उन सुझावों में अधिकतर लोग बाजार आधारित मूल्य निर्धारण नीति के खिलाफ थे बावजूद इसके सरकार ने उनकी बात को बिना माने अपनी मर्जी से इसे लागू किया। इस बात  की भी जांच होनी चाहिए कि आखिर वो कौन-सी मजबूरी थी जिसके कारण सरकार ने स्टेक होल्डरों की बात को दरकिनार किया?

स्वस्थ भारत की दिशा में आपसे देश को बहुत उम्मीदे हैं। और देश यह भी चाहता हैं कि स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार के रूप में स्वीकार किया जाए। ऐसे में आपकी पांच साल की यह सरकार उपरोक्त बातों पर कितना गंभीर होती है, इस पर इस देश की स्वास्थ्य नीति का भविष्य अवलंबित है। मैंने अपने अनुभव एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में चल रहे भ्रष्टाचार की ओर आपको सूक्ष्म संकेतों के माध्यम से अवगत कराने का प्रयास किया है। एक नागरिक के नाते, एक स्वास्थ्य पत्रकार के नाते, एक स्वास्थ्य कार्यकर्ता के नाते मेरा यह फर्ज था कि आप तक सही तस्वीर पहुंचा सकूं। इन विषयों पर और भारत भ्रमण के अपने अनुभवों को साझा करने हेतु आपसे मिलने की भी हमारी इच्छा है। जब मुलाकात होगी तो और विस्तार से इन बिन्दुओं पर बात करूंगा।

फिलहाल इतना ही। एक बार पुनः आपको एवं आपकी नई सरकार को स्वस्थ भारत (न्यास) के चेयरमैन होने के नाते बधाई प्रेषित करता हूं। ‘स्वस्थ भारत विकसित भारत’ के सपने को साकार करने की दिशा में आप बेहतर कार्य करेंगे इस आशा के साथ…

                                  सादर!

आशुतोष कुमार सिंह
चेयरमैन स्वस्थ भारत (न्यास)
राष्ट्रीय संयोजक-स्वस्थ भारत अभियान
संपादक-स्वस्थ भारत डॉट इन

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