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6 नवंबर से विश्व आयुर्वेद सम्मेलन, प्रधानमंत्री करेंगे उद्घाटन

हम ‘पंचम वेद’ के गौरव को अक्षुण्ण रखने के प्रति कटिबद्ध हैः स्वास्थ्य मंत्री

भारतीय स्वास्थ्य ज्ञान बहुत पुरातन है, जरूरत है इसे आगे बढ़ाने की...सरकार की सक्रियता दिख रही है...जनता को जगने की जरूरत है
भारतीय स्वास्थ्य ज्ञान बहुत पुरातन है, जरूरत है इसे आगे बढ़ाने की…सरकार की सक्रियता दिख रही है…जनता को जगने की जरूरत है

 
Ashutosh Kumar Singh for SBA
छठा विश्व आयुर्वेद सम्मेलन (अखिल भारत आयुर्वेद महासम्मेलन) सरकारी तत्वावधान में 06 नवम्बर से लेकर 09 नवम्बर तक नई दिल्ली स्थित प्रगति मैदान में आयोजित किया जाएगा। यह सम्मेलन भारतीय जन स्वास्थ्य प्रणाली की मुख्य धारा में ‘पंचम वेद’ के गौरवमयी स्थान को रेखांकित करने के लिए आयोजित किये जाने वाले अनेक कार्यक्रमों की श्रृंखला का एक हिस्सा होगा।
विश्व आयुर्वेद कांग्रेस के स्वरूप के बारे में विस्तार से बताते हुए डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि इस दौरान 15 अनुसंधान विषयों पर 5 पूर्ण सत्र और 25 तकनीकी सत्र आयोजित किये जाएंगे। इस दौरान भारत, जर्मनी, इटली, अमेरिका, अर्जेंटीना, रूस और कई अन्य देशों के वैज्ञानिकों की ओर से कुल मिलाकर 750 वैज्ञानिक प्रपत्र पेश किये जाएंगे। 
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधि संगोष्ठी, राष्ट्रीय चिकित्सीय पौध बोर्ड द्वारा चिकित्सीय पौधों पर आयोजित की जाने वाली अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी और फॉर्मेक्सिल द्वारा आयोजित की जाने वाली क्रेता-बिक्रेता बैठक इस सम्मेलन का मुख्य आकर्षण होंगी।
मंत्री ने घोषणा की कि ‘आरोग्य एक्सपो’ के जरिए इसे एक सार्वजनिक कार्यक्रम बनाने का इरादा है, जो आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी चिकित्सा प्रणालियों पर एक स्वास्थ्य मेले की तरह होगा। विश्व आयुर्वेद कांग्रेस के दौरान इसका आयोजन हॉल नम्बर 18 में किया जाएगा। आयुर्वेदिक दवाओं से वास्ता रखने वाली तकरीबन 500 दवा कंपनियां इसमें शिरकत करेंगी।
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, ‘हमारी परंपरागत दवाओं के चमत्कार से रूबरू होने के लिए आम जनता को आमंत्रित किया जाएगा। हम निःशुल्क परामर्श की सुविधाएं मुहैया कराएंगे, जिसके तहत ‘आयुष’ डॉक्टर सभी मरीजों की जांच करने के बाद उन्हें निःशुल्क दवाएं भी मुहैया कराएंगे। लाइव योग सत्र भी आयोजित करने का इरादा है।’
डॉ. हर्षवर्धन ने इस ओर ध्यान दिलाया कि भारत में आज भले ही आयुर्वेद को नजरअंदाज किया जा रहा हो, लेकिन सभी भारतीयों को यह जानकर गर्व होगा कि अमेरिका के इलिनॉयस स्थित शिकागो मेडिकल स्कूल के पैथोलॉजी संग्रहालय में प्राचीन भारतीय चिकित्सक ‘सुश्रुत’ की तस्वीर लगी हुई है। इस तस्वीर के नीचे लिखे गये चित्र परिचय में उनका वर्णन इस तरह से किया गया हैः मोतियाबिंद की प्रथम शल्‍य–चिकित्‍सा करने वाले शख्‍स।
उन्‍होंने कहा, ‘मैं चाहता हूं कि अगले दो वर्षों में भारतीय अंतर्राष्‍ट्रीय व्‍यापार मेले की ही तरह विश्‍व आयुर्वेद कांग्रेस भी लोकप्रिय हो जाए, जिसका आयोजन प्रगति मैदान में ही होता है। इसके जरिए भारतीयों की नई पीढ़ी आधुनिक चिकित्‍सा की जन्‍मस्‍थली के रूप में भारत के गौरवमयी इतिहास के बारे में और ज्‍यादा जान पाएगी। स्‍वास्‍थ्‍य शिविर निश्‍चित रूप से एक बड़ा आकर्षण होंगे।’
आयुर्वेद का एम्स
वहीं दूसरी तरफ एक संवाददाता सम्मेलन में इस आशय की घोषणा करते हुए केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि दिल्ली के जसोला में निर्माणाधीन नये अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) में शैक्षणिक वर्ष 2015-16 के दौरान स्नातकोत्तर विद्यार्थियों का पहला बैच दाखिला लेगा।
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, ‘मेरा एक आरंभिक निर्णय पाठ्यक्रम को मंजूरी देने के बारे में था। मैं चाहता हूं कि यह संस्थान इस तरह से विकसित हो कि उसकी तुलना अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान से होने लगे। दूसरे शब्दों में, यह आयुर्वेद के लिए एम्स साबित हो।’
दस एकड़ में फैले परिसर में 200 बिस्तरों वाला सात मंजिला परामर्श अस्पताल भी होगा। इस अस्पताल में अभी से छह माह के भीतर मरीजों को भर्ती करने का सिलसिला शुरू हो जाएगा। एआईआईए एक ऐसे उत्कृष्टता केन्द्र के रूप में उभर कर सामने आएगा, जिसमें बुनियादी शोध, दवा सुरक्षा के मूल्यांकन, मानकीकरण, गुणवत्ता नियंत्रण और आयुर्वेदिक दवाओं की वैज्ञानिक पुष्टि करने के कार्यों को बखूबी अंजाम दिया जाएगा।
स्वास्थ्य मंत्री वैसे तो आधुनिक पश्चिमी चिकित्सा प्रणाली से वास्ता रखने वाले एक ईएनटी सर्जन हैं, लेकिन वह आयुर्वेद की भी भूरि-भूरि प्रशंसा करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि नये, निर्माणाधीन एम्स में आयुष विभाग खोलकर वह एम्स के अंतर्गत आयुष का गौरवमयी स्थान पहले ही सुनिश्चित कर चुके हैं। समग्र दवा विकसित करने के लिए एक खास विशेषज्ञ समूह भी गठित किया गया है।
 
 

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Ashutosh Kumar Singh

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Ashutosh Kumar Singh

2 comments

MANJU PRABHAT SHARMA November 12, 2014 at 11:55 am

सदबुद्धि, स्वास्थ्य और सुख – जीवन के तीन मूल मंत्र
स्वस्थ रहें सब, खुशी रहे सर्वत्र |

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MANJU PRABHAT SHARMA November 12, 2014 at 12:26 pm

सदबुद्धि, स्वास्थ्य और सुख – जीवन के तीन मूल मंत्र,
पंचम वेद ही है सबका आधार तत्व,
स्वस्थ रहें सब खुशी रहे सर्वत्र |

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