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आयुर्वेद को लेकर भारत सरकार का रूख सकारात्मक दिख रहा है। सदियों से उपेक्षित आयुर्वेद को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय की सक्रीयता बढ़ गयी है। पिछले दिनों पहले विश्व आयुर्वेद सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा है कि ऐसा कोई कारण नहीं है कि सरकार आयुर्वेद में लोगों की दिलचस्पी को फिर से जागृत न करे। सरकार का मुख्य लक्ष्य एक ऐसी जीवन शैली को बढ़ावा देना है जहां मनुष्य और उनके वातावरण के बीच उचित माहौल बने। देश के अपर्याप्त संसाधनों पर गैर-संचारी रोगों के बोझ को कम करने का यही एक मात्र तरीका है और आयुर्वेद इसकी कुंजी है।
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि इस वर्ष मई में जब नई सरकार ने कार्यभार संभाला उस वक्त आयुष विभाग ने 1200 करोड़ रुपये के कुल खर्च में से केवल 167 करोड़ रुपये खर्च किये थे लेकिन प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा आयुर्वेद और अन्य परंपरागत दवाओं को चिकित्सा पद्धति में सही स्थान देने पर जोर देने के कारण यह खर्च 5000 करोड़ रूपये तक चला गया। इससे अनुसंधान और चिकित्सा सुविधाओं की संख्या में पर्याप्त वृद्धि होगी और वर्तमान बुनियादी ढांचे का विकास होगा।
भारत, जर्मनी, इटली, अमेरिका, अर्जेंटीना, रूस, नेपाल, भूटान, बंग्लादेश, मालदीव, इंडोनेशिया, चीन, मलेशिया, कंबोडिया और कई अन्य देशों के विशेषज्ञों ने श्री
डॉ. हर्षवर्धन की इस चेतावनी को ध्यान से सुना कि अगर कुछ बुरा होने की आशंका पर ध्यान नहीं दिया जाएगा तो एक पूरी पीढ़ी उच्च रक्तचाप, रक्त में कोलोस्ट्रोल की मात्रा बढ़ने, मधुमेह और मोटापे का शिकार हो जाएगी।
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, ‘‘क्या कोई ऐसा देश है जहां गरीबी और समृद्धि दोनों से जुड़ी बीमारियों का सबसे ज्यादा बोझ है? दूसरी तरफ हमारे यहां तपेदिक के सबसे अधिक मामले हैं जबकि दूसरी तरफ हम कार्डियोवस्कुलर बीमारियों, मधुमेह, क्रोनिक पल्मोनरी बीमारी और कैंसर जैसी बीमारियों में सबसे आगे निकलने वाले हैं।’’
विश्व आयुर्वेद सम्मेलन के बारे में डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि इसमें पांच पूर्ण अधिवेशन, 15 अनुसंधान विषयों पर, 25 तकनीकी सत्र होंगे। भारत, जर्मनी, इटली, अमेरिका, अर्जेंटीना, रूस और अनेक अन्य देशों के वैज्ञानिक 750 पत्र पेश करेंगे।
इस मौके पर मंच पर लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन मौजूद थीं। इसके अलावा कुछ विदेशी मेहमान भी मौजूद थे, जिनमें बांगलादेश के राज्यमंत्री श्री जाहिद मलिकी, नेपाल के स्वास्थ्य मंत्री श्री खगराज अधिकारी, मालदीव के उप मंत्री डॉ. मोहम्मद हबीब, उजबेकिस्तान के उपमंत्री श्री एक्स के जालीलोव, विज्ञान भारती के चेयरपर्सन डॉ. विजय भतकर और अफगानिस्तान, भूटान, क्यूबा, मालदीव, स्लोवेनिया तथा त्रिनिदाद और टोबेगो के वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे। इस सम्मेलन में विदेश से आए 400 प्रतिनिधियों के अलावा 4000 से ज्यादा प्रतिनिधियों ने भाग लिया। 6 नवंबर से 9 नवंबर-2014 तक चले इस आयोजन में देश की सैकड़ो आयुर्वेदिक दवा कंपनियों की प्रतिनिधि भी शामिल हुए। सभी ने आशा व्यक्त की कि अब आयुर्वेद की दिन सुधरने वाले हैं।