नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। बदलते लाइफस्टाइल और खानपान की वजह से लगातार डायबिटीज के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। इससे पूर्णरूपेण छुटकारा तो असंभव है। हां, इस पर नियंत्रएा संभव है और इसके लिए मरीज को रोजाना इंसुलिन का इंजेक्शन लेना पड़ता है। लेकिन अब इंजेक्षन के दर्द से मुक्ति दिलाने के लिए स्प्रे के सहारे इंसुलिन लेने की व्यवस्था हो रही है। निडल फ्री टेकनॉलोजी ने स्प्रे इंसुलिन के trail के लिए केंद्रीय औषधि मानक संगठन (CDSCO) में आवेदन किया जा चुका है। अनुमति मिलने के बाद trail होगा। बाजार तक आने में दो से तीन साल लग सकते हैं। इसका नाम होगा Ozulin। इस कंपनी को 40 देश में ओरल इंसुलिन को पेटेंट मिला हुआ है।
डॉक्टरों को मिलेगा यूनिक आईडी
देश में सभी डॉक्टरों को अब एक 2024 तक यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर (UID) दिया जाएगा। बिना इसके भारत में प्रैक्टिस करने की मनाही रहेगी। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) ने इसे लेकर नोटिफिकेशन जारी किया हुआ है। NMC का एथिक्स बोर्ड यूनिक आईडी जनरेट करेगा और प्रैक्टिशनर रजिस्ट्रेशन देगा। अधिसूचना के मुताबिक देश के सभी रजिस्टर्ड डॉक्टरों के लिए एक कॉमन नेशनल मेडिकल रजिस्टर (Common national medical register) होगा। इसमें विभिन्न राज्यों की मेडिकल कौंसिल के सभी रजिस्टर्ड डॉक्टरों की जानकारियां शामिल होंगी और डॉक्टर के बारे में हर जरूरी जानकारी रहेगी।
किस धातु की इंजेक्षन वाली सूई ?
इंजेक्शन की सूई किस धातु की होती है? यह ऐसा सवाल है कि जिस पर डॉक्टर से लेकर आम आदमी तक कोई गौर नहीं करता। सच ये है कि आमतौर पर यह स्टेनलेस स्टील से बनी होती है। इसे कार्बन स्टील भी कहा जाता है। हाइपोडर्मिक सूइयां स्टेनलेस स्टील या नाइओबियम ट्यूब से बनाई जाती हैं। सूई के सिरे को नुकीला बनाया जाता है। यह अंदर से खोखला होता है ताकि उसके माध्यम से दवा बॉडी में जा सके।