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गजब…आपके हस्ताक्षर का भी होता है वजन

नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। हैरत…किसी कागज, फाइल, दस्तावेज या चेक पर दर्ज हस्ताक्षर का भी वजन होता है। भारत में सिर्फ रांची के कांके स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ लीगल मेट्रोलॉजी (IILM) के पास यह तकनीक है कि वह किसी के भी हस्ताक्षर का वजन बता दे। शरीर के बाल, छोड़ी जाने वाली एक सांस का भी शत-प्रतिशत सटीक एवं मानक माप का यहां विश्लेषण किया जा सकता है।

माइक्रो बैलेंस तकनीक का सहारा

यहां के विशेषज्ञ बताते हैं कि माइक्रो बैलेंस तकनीक पर आधारित उपकरण की मदद से सूक्ष्म से सूक्ष्म द्रव्यमान की वस्तुओं के सटीक वजन का पता लगा लिया जाता है। इसकी मदद से हस्ताक्षर के अलावा हस्ताक्षर का वजन माइक्रोग्राम में मापा जाता है। एक माइक्रोग्राम एक मिलिग्राम का एक हजारवां भाग होता है। इस तकनीक से की जाने वाली माप के जरिए असली-नकली हस्ताक्षर की पहचान की जाती है

जाली हस्ताक्षर का वजन ज्यादा

संस्थान के एक पूर्व निदेशक बताते हैं कि दिलचस्प बात यह कि जाली हस्ताक्षर का वजन असली हस्ताक्षर से ज्यादा होता है। इसकी वजह यह है कि हू-ब-हू नकल का प्रयास करने वाला व्यक्ति कलम पर अधिक दबाव डालने के लिए बाध्य होता है। IIML माप-तौल के लीगल पैरामीटर तय करने और इसके मानक तकनीकों पर प्रशिक्षण देने वाला पूरे दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में अपनी तरह का अनूठा और एकमात्र शीर्ष संस्थान है। यहां के उच्च मानकों की ख्याति ऐसी है कि अब तक यहां 32 देशों के हजारों अधिकारी प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं। यह केंद्र सरकार के उपभोक्ता मामले विभाग के नियंत्रण में काम करता है।

1962 में पटना में हुआ था स्थापित

खबरों के मुताबिक भारत में मीट्रिक प्रणाली लागू होने से पहले ही बाट और माप के प्रशिक्षण के लिए एक प्रशिक्षण संस्थान की आवश्यकता समझी गयी। इस दिशा में सबसे पहले बिहार और महाराष्ट्र की सरकारें आगे आईं और अपने प्रवर्तन अधिकारियों को प्रशिक्षण देना प्रारंभ किया, जिससे देश में मानकों में समानता रहे और उपभोक्ता अधिकारों का संरक्षण हो सके। इसके बाद 1962 में बिहार सरकार ने पटना में ऑल इंडिया ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट फॉर वेट्स एंड मेजर्स नामक एक प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना की जिसे जनवरी 1970 में केंद्र सरकार ने अपने अधीन ले लिया। इसेे जर्मन सरकार के सलाहकारों की सलाह पर 1974 में रांची स्थानांतरित किया गया और इसे नया नाम दिया गया IIML। वर्तमान में इस इंस्टीट्यूट में 32 पाठ्यक्रमों का संचालन किया जाता है।

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