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भारत में भी लॉन्च होगी चिकनगुनिया की वैक्सीन

नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। फ्रांसीसी बायोटेक कंपनी वलनेवा के चिकनगुनिया टीके को भारत में लॉन्च करने की योजना बना रही है। इस टीके IXCHIQ को पिछले सप्ताह यूएस फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (US FDA) द्वारा मंजूरी मिली थी। कंपनी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी जुआन कार्लाेस जारामिलो ने कहा है कि भारत में वैक्सीन उपलब्ध कराने की समय सीमा ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया (DCGI) के साथ नियामक बातचीत के बाद निर्धारित की जाएगी। उन्होंने कहा कि निम्न और मध्यम आय वाले देशों के लिए को अधिक सुलभ बनाने के लिए कंपनी ने 2021 में चिकनगुनिया वैक्सीन के विकास, निर्माण और विपणन के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किया था।

बचपन में लीवर प्रत्यारोपण, अब बना डॉक्टर

1998 में चिकित्सकों की एक टीम ने करीब 20 माह के बच्चे संजय कंडास्वामी का जिगर (लीवर) प्रतिरोपण किया थी और यह भारत में पहला सफल जिगर प्रतिरोपण था। अब बेबी संजय 25 वर्ष बाद बड़ा होकर डॉ. संजय बन गया और अब शादी के बंधन में बंधने जा रहा है। अपोलो इंद्रप्रस्थ अस्पताल में हासिल की गई उपलब्धि की 25वीं वर्षगांठ के अवसर पर यहां एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इसमें तमिलनाडु के मूल निवासी कंडास्वामी भी अपने माता-पिता के साथ शामिल हुए।

एक ही बोतल का बार-बार प्रयोग अनुचित

एक ही बोतल से बार-बार पानी पीना सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। नए शोध में इस बारे में चौकाने वाले खुलासे हुए हैं। शोध के अनुसार रीयूजेबल बोतल टॉयलेट सीट से कहीं ज्यादा गंदी होती है। इनमें टॉयलेट सीट की तुलना में लगभग 40 हजार गुना अधिक बैक्टीरिया हो सकते हैं। अमरीकी कंपनी वॉटरफिल्टरगुरु के शोधकर्ताओं की एक टीम ने टोंटी, ढक्कन सहित पानी की बोतलों के विभिन्न हिस्सों की जब जांच की तो पाया कि इन पर अधिक मात्रा में बैक्टीरिया मौजूद हैं। रिपोर्ट के मुताबिक इस पर ग्राम निगेटिव रॉड्स और बैसिलस पाए गए। शोध में पाया गया कि पानी की बार-बार इस्तेमाल की जा सकने वाली बोतल भले ही साफ दिखती हो लेकिन उससे पानी पीना सेफ नहीं।

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