बी कृष्णा नारायण
मधुमेह, डायबिटीज -एक ऐसी बीमारी जो हर उम्र के व्यक्तियों और हर वर्ग के व्यक्तियों को अपने चपेट में लेता है। इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन के अनुसार विश्व के 537 मिलियन व्यक्ति इस रोग से पीड़ित हैं। प्रतिवर्ष 4 मिलियन व्यक्तियों की इस रोग से मृत्यु हो जाती है। National Noncommunicable Disease Monitoring Survey (NNMS) के सर्वे के अनुसार, भारत में वर्ष 2025 तक इस रोग से पीड़ित व्यक्तियों की अनुमानित संख्या करीब 69 .9 मिलियन हो जायेगी।
1990 के बाद रोग की रफ्तार बढ़ी
1990 के बाद इस रोग ने रफ्तार पकड़ी और बड़े तो बड़े, बच्चे भी इसकी चपेट में आने लगे। धीरे-धीरे स्थिति यह हो गयी कि भारत को मधुमेह रोग की राजधानी कहा जाने लगा। सम्पूर्ण विश्व को आरोग्य का पाठ पढ़ाने वाले देश भारत को जब मधुमेह की राजधानी कहा जाने लगे तो स्थिति की भयावहता का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। इस रोग के प्रसार को देखते हुए इसकी रोकथाम हेतु अविलंब त्वरित कार्यवाई किये जाने की जरूरत है। आज के इस भागम भाग वाली जिंदगी में बदलती हुई जीवनचर्या इस बीमारी के लिए उपयुक्त भूमि तैयार करता है। इसको और हवा मिल जाती है जब इसके साथ ‘चिंता‘ और ‘तनाव‘ जुड़ जाता है। हर कुछ फटाफट पा लेने की होड़ में हम समय पर खाना-पीना, समय पर सोना, समय पर जागना जैसे महत्वपूर्ण चर्या से दूर जाने लगते हैं। धीरे-धीरे शरीर का चयापचय बिगड़ने लगता है। बिगड़ती जीवनशैली, अनियंत्रित खानपान, काम का दबाव, तनाव, अत्यधिक फास्टफूड का सेवन जैसे अनेक कारण होते हैं। शरीर में कार्बोहाइड्रेट के चयापचय के अनियंत्रित (metabolic disorder) की वजह से इंसुलिन की मात्रा कम होने या अनियंत्रित हो जाने की वजह से इस रोग का शरीर में प्रवेश होता है।
डायबिटीज के लक्षण
जिंदगी के सफर में हमारी रफ्तार इतनी तेज होती है कि कब यह रोग हमारे शरीर में प्रवेश कर रहा है, हम जान ही नहीं पाते।
- हमें भूख या तो खूब लगने लगती है या भूख ही नहीं लगती।
- प्यास बहुत लगने लगती है।
- शरीर का वजन या तो बढ़ने लगता है या कम होने लगता है।
- बर-बार पेशाब आने लगता है।
- लगातार कमजोरी और थकावट महसूस होने लगती है।
- घाव भरने में ज्यादा वक्त लगता है।
- चीजें धुंधली नजर आने लगती है।
- त्वचा संक्रमित होने लगती है और खुजली होने लगती है।
रोगी में ग्लूकोज की मात्रा अधिक
मधुमेह में रोगी के खून में ग्लूकोज की मात्रा (blood sugar level) आवश्यकता से अधिक हो जाती है। हम जो खाना खाते है, वह पेट में जाकर ऊर्जा (glucose) में परिवर्तित होता है। इस ऊर्जा को शरीर के तमाम अंग-प्रत्यंगों तक पहुँचाने का कार्य तभी संभव है जब हमारा अग्न्याशय (pancreas) पर्याप्त मात्रा में इन्सुलिन तैयार करे और वह इन्सुलिन सक्रिय हो। बिना इंसुलिन के ग्लूकोज कोशिकाओं में प्रवेश नहीं कर सकता है। जब यह प्रक्रिया सामान्य रूप से नहीं हो पाती तो व्यक्ति मधुमेह से ग्रसित हो जाता है। इस तरह का शारीरिक लक्षण जब प्रकट होता है तब हम चिकित्सक के पास जाते हैं। वहां बहुत सारी जांच के बाद वह हमें बता पाता है कि हम मधुमेह के शिकार हो चुके हैं। चिकित्सक के पास ऐसा कोई टूलकिट नहीं होता या जाँच की ऐसी कोई विधि नहीं होती जहाँ वह समय के पूर्व व्यक्ति को बता पाए कि सावधान हो जाइये, आप मधुमेह, डाइबिटीज के शिकार हो सकते हैं।
दो प्रकार की डाइबिटीज
पहली स्थिति में व्यक्ति के शरीर में इन्सुलिन का निर्माण ही नहीं होता। दूसरी स्थिति में इन्सुलिन का निर्माण तो होता है किन्तु वह निष्क्रिय अवस्था में रहता है। इसको सक्रिय अवस्था में लाने के लिए इसपर बाह्य बल लगाना पड़ता है। पहली स्थिति बहुत ही कम व्यक्तियों में पायी जाती है। 90 से 95 प्रतिशत व्यक्ति दूसरे प्रकार के मधुमेह से पीड़ित पाए जाते हैं। कभी-कभी यह ऐसी महिलाओं को भी होता है जो गर्भवती हों और उन्हें पहले कभी डायबिटीज ना हुआ हो। ऐसा गर्भावस्था के दौरान खून में ग्लूकोज की मात्रा (blood sugar level) आवश्यकता से अधिक हो जाने के कारण होता है। इस रोग से शरीर के ग्रसित हो जाने के बाद चिकित्सक बता पाते हैं, परन्तु ज्योतिष के माध्यम से समय से काफी पहले इस रोग की जानकारी मिल जाती है। देश, काल और पात्र के साथ कुंडली के सूक्ष्म विश्लेषण द्वारा बड़ी आसानी से जाना जा सकता है कि जीवन की किस अवस्था में यह रोग होगा।
ज्योतिष की नजर से डायबिटीज
चरक संहिता और सुश्रुत संहिता में मधुमेह का उल्लेख मिलता है।
‘स्थूल प्रमेही बलवानहि एकःकृक्षरतथेव परिदुर्वलक्ष्य।
संवृहणंतम कृशस्य कार्यम् संशोधन दोष बलाधिकस्य।।‘
फलदीपिका के अनुसार-
‘‘पाण्डुश्लेष्ममत्प्रकोपनयनव्यापत्प्रमेहामयात्’’
1. कुंडली का पंचम भाव, पंचमेश के साथ यदि चन्द्रमा और बुध भी पीड़ित है तो तनाव की वजह से इस रोग के होने की संभावना बन जाती है।
2. इसके साथ यदि गुरु भी पीड़ित है, जल तत्व राशि में है, तो आपका बढ़़ता हुआ वजन इस रोग को आमंत्रित करनेवाला होगा।
3. राहु से द्वितीय भाव और द्वितीयेश यदि पीड़ित है तो अनियंत्रित भोजन करने से, जंक फूड खाने की वजह से यह रोग शरीर में अपना जड़ जमा सकता है।
4. चंद्र यदि शुक्र, मंगल, सूर्य के साथ हो तो डायबिटीज होने की प्रबल संभावना होती है।
5. गुरु और शनि की युति यदि सामान अंशों पर हो रही हो तो मधुमेह की संभावना बढ़ जाती हैं।
6. शनि और चन्द्रमा का सम्बन्ध यदि कर्क राशि में बने तो यह योग इस रोग को देने वाले होते हैं।
7. सिंह राशि और वृश्चिक राशि का पीड़ित होना इस रोग को पनपने में उर्वरक भूमि का काम करते हैं।
8. सामान्य तौर पर देखा गया है कि मधुमेह के बिगड़ जाने पर किडनी को सर्वाधिक नुकसान होता है। ऐसे में कुंडली के अष्टम भाव का सूक्ष्म परीक्षण करना चाहिए। अष्टम, अष्टमेश यदि पीड़ित है और दशा से भी इसका सम्बन्ध आनेवाला हो तो यह खतरे का सूचक है। यह इस बात का संकेत देता है कि मधुमेह की वजह से आपकी किडनी प्रभावित हो सकती है।
9. अगर कुंडली में शुक्र छठे भाव में हो और गुरु 12वें भाव में हो तो व्यक्ति को मधुमेह होने की संभावना बढ़ जाती है।
10. उपर्युक्त योगों के साथ कुंडली में यदि शुक्र भी पीड़ित है तो चलने वाली दशाओं का सूक्ष्मता से विश्लेषण किया जाना चाहिए क्योंकि ज्योतिष में शुक्र को मधुमेह का कारक माना गया है।
उम्र के जिस मोड़ पर इन योगों से सम्बंधित दशा मिलेगी, वह दशा यह रोग देने वाली दशा होगी। इस प्रकार यदि समय से काफी पहले यदि हमें इसकी जानकारी हो जाये तो डॉक्टर के पास जाने का चक्कर तो बचेगा ही, हमारा मेडिकल बिल भी शून्य हो जायेगा।
बचने के उपाय
कुंडली से इस रोग के होने की संभावना जब दिख जाये तो क्या करें कि इसके प्रकोप से बच सकें। कौन सा उपाय अपनाएं कि यह काबू में रहे, आइये जानें-
1. भोजन करने के बाद सूर्य स्वर चले, तत्पश्चात चंद्र स्वर, यह सुनिश्चित करें। सूर्य स्वर अर्थात दायीं नासिका से चलने वाली स्वास और चंद्र स्वर अर्थात बायीं नासिका से चलने वाली स्वास। ऐसा करने से शरीर में अनियंत्रित चयापचय नियंत्रित होने लगेगी और हम इस रोग से मुक्त होंगे।
2, ‘ॐ‘ और ‘राम‘ मंत्र का नियमित सस्वर पाठ करें। इनका पाठ शरीर में नाइट्रिक ऑक्साइड की मात्रा को बढ़ाने में सहायक होता है। मधुमेह से पीड़ित व्यक्ति के शरीर में नाइट्रिक ऑक्साइड की मात्रा कम पाई जाती है। इन मंत्रों के जाप से शरीर में निष्क्रिय अवस्था में उपस्थित इन्सुलिन सक्रिय होने लगता है। ‘ॐ‘ और ‘राम‘ के जाप के समय यह ध्यान रखें कि इसको जपते वक्त हमिंग ध्वनि हो-ममममममम। साथ ही साथ इनका उच्चारण ‘अनुस्वर‘ में किया जाये। अन्य वाणी का प्रयोग इस मंत्र से होने वाले लाभ को हानि में परिवर्तित कर देगा।
3. शरीर में नाइट्रिक ऑक्साइड की मात्रा बढे, इसके लिए भ्रामरी प्राणायाम करें
4. अपने खान-पानं की आदतों में सुधार के साथ-साथ समय पर सोने और समय पर जागने की आदत बनाएं।
5. चीनी और मैदा से बनी चीजों के अलावा धूम्रपान, मिठाई, ग्लूकोज, मुरब्बा, गुड़, आइसक्रीम, केक, पेस्ट्री को न कहें। जंक फूड और डब्बाबंद भोज्य पदार्थों से जितनी दूरी बना सकते हैं, बनाएं।
6. नियमित सैर को अपना संगी बनाएं।
इस प्रकार के छोटे छोटे लेकिन असरकारी उपायों को अपना कर, दिनचर्या को सुधारकर हम इस रोग से मुक्त हो सकते हैं।