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गलत दवा से महामारी में हुई 17 हजार लोगों की मौत

नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। कोरोना की महामारी के समय हर महीने नयी दवा लॉन्च हो रही थी। डॉक्टर भी मरीजों को इसकी सलाह दे रहे थे। डोलो, एजिथ्रोमाइसिन, रेमडेसिविर आदि ऐसी दवा के लिए लोग पागल रहते थे। इस कड़ी में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (HCQ) भी है जिसके सेवन से दुनियाभर में 17 हजार से अधिक लोगों की मौत का अब दावा किया गया है।

मलेरिया की दवा कोरोना में चली

एक स्टडी में यह बात सामने आई है। इसे बायोमेडिसिन एंड फार्माकोथेरेपी के अंक में प्रकाशित किया गया है। उस दौरान कोविड के इलाज के लिए चिकित्सकों द्वारा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की सिफारिश की जा रही थी जो मलेरिया की दवा है। अब फ्रांसीसी शोधकर्ताओं की एक स्टडी में पाया गया है कि मार्च से जुलाई 2020 तक पहली लहर के दौरान छह देशों में लगभग 17 हजार लोगों की मृत्यु HCQ देने के बाद हुई।

6 देशों में हुई स्टडी

मालूम हो कि महामारी के दौरान तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने लोगों से HCQ लेने का आग्रह किया था। इसका उपयोग अक्सर संधिशोथ और ल्यूपस को ठीक करने के लिए भी किया जाता है। शोध बताता है कि मौतों की संख्या में वृद्धि हृदय गति में निरंतरता की कमी और मांसपेशियों की कमजोरी जैसे दुष्प्रभावों के कारण हुई। रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में सबसे अधिक 12,739 मौतें हुईं। इसके बाद स्पेन (1,895), इटली (1,822), बेल्जियम (240), फ्रांस (199) और तुर्की (95) हैं।

मार्च में मिली मंजूरी जून में रद्द

अमेरिका के खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) ने 28 मार्च 2020 को आपातकालीन उपयोग के लिए दवा को मंजूरी दी और नैदानिक परीक्षण शुरू कर दिया लेकिन इसकी अनुपयोगिता पर जून 2020 में इसके उपयोग पर रोक लगी दी। न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन समेत कई अध्ययनों में पाया गया कि एचसीक्यू का कोविड पर कोई लाभ नहीं था और इससे मृत्यु के जोखिम में उल्लेखनीय वृद्धि हुई।

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