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Survey : कठिन समय में पुरुष राहत नहीं देते पत्नी को

ऐवरटीन मेंस्ट्रुअल हाइजीन सर्वे 2024

52.2 प्रतिशत शहरी शिक्षित पुरुषों ने कभी पत्नी के लिए मेंस्ट्रुअल हाइजीन प्रोडक्ट नहीं खरीदा
77.7 प्रतिशत पुरुषों ने माहवारी में पार्टनर के अनुभव को समझने के लिए कोई रिसर्च नहीं की
69.8 प्रतिशत पुरुषों को पार्टनर से माहवारी पर चर्चा करने में होती है मुश्किल
चार में से तीन महिलाएं पति से पीरियड्स पर बात नहीं कर पाती
मेंस्ट्रुअल हाइजीन डे के #PeriodFriendlyWorld का 2024 विज़न जारी

नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। माहवारी संबंधी वैश्विक आंदोलन मेंस्ट्रुअल हाइजीन डे के मौके पर पिछले दिनों फेमनिन हाइजीन ब्रांड ऐवरटीन ने अपने 9वें वार्षिक मेंस्ट्रुअल हाइजीन सर्वे के परिणाम जारी किए हैं। इस वर्ष के लिए मेंस्ट्रुअल हाइजीन डे की थीम है ’पीरियड फ्रैंडली वर्ल्ड’, इसी के मुताबिक ऐवरटीन ने अपनी पहुंच का विस्तार करते हुए पुरुषों को भी इसमें शामिल किया और मेंस्ट्रुअल हाइजीन के बारे में उनकी जागरुकता को मापा।

सर्वे में चौंकाने वाले तथ्य

इस सर्वे में 18 से 35 वर्ष के 7800 से अधिक लोगों की प्रतिक्रियाएं शामिल की गईं। इन लोगों में तकरीबन 1000 पुरुष थे जिनमें ज्यादातर स्नातक या उससे से ज्यादा शिक्षित थे। ऐवरटीन मेंस्ट्रुअल हाइजीन सर्वे 2024 में भाग लेने वाले 60.2 प्रतिशत पुरुषों ने बताया कि वे अपनी पार्टनर से पीरियड्स के बारे में बहुत खुल कर बात करते हैं। यद्यपि, आधे से अधिक (52.2 प्रतिशत) पुरुषों ने स्वीकार किया कि उन्होंने अब तक अपनी पार्टनर के लिए कभी मेंस्ट्रुअल प्रोडक्ट नहीं खरीदा। केवल 11.7 प्रतिशत पुरुषों ने कहा कि माहवारी के दौरान वे उसके बोझ को कम करने के लिए घरेलू कामों की अतिरिक्त जिम्मेदारी उठाते हैं। इस दौरान 77.7 प्रतिशत पुरुषों का कहना था उन्होंने इस विषय पर स्वयं को शिक्षित करने के लिए कोई रिसर्च नहीं की या फिर बेहद कम रिसर्च की। 69.8 प्रतिशत पुरुष महसूस करते हैं कि मासिक धर्म को लेकर समाज में जो संकोच है, उसके चलते उनके लिए यह मुश्किल है कि वे इस विषय पर अपनी पार्टनर से बात करें। 65.3 पुरुषों ने इस बात पर सहमति जताई की मासिक धर्म के बारे में पुरुषों को शिक्षित किया जाना चाहिए।

सर्वे से आयी जागृति

इस सर्वे में पुरुषों को शामिल किया जाना पहला कदम था और इससे धारणाओं में कुछ परिवर्तन में मदद मिली है क्योंकि 41.3 प्रतिशत पुरुषों ने वादा किया कि वे मासिक धर्म के बारे में स्वयं को शिक्षित करेंगे। जबकि 27.7 प्रतिशत ने कहा कि वे अपनी पार्टनर की जरूरतों को सुनेंगे और पीरियड्स के दौरान उन्हें सहयोग देंगे। 21.2 प्रतिशत पुरुषों ने कहा कि वे अपनी पार्टनर से इस विषय पर ज्यादा खुल कर बात करेंगे।

सामान खरीदने में अब भी झिझक

सर्वे में यह भी सामने आया कि 7.1 प्रतिशत महिलाएं अब भी अपने परिवार में पीरियड्स को लेकर किसी से बात नहीं करतीं। 56.8 प्रतिशत महिलाएं दुकान से सैनिटरी नैपकिन खरीदने में अब भी झिझकती हैं, खासकर तब जब वहां कोई ग्राहक मौजूद हो। 51.8 प्रतिशत महिलाएं पीरियड के पहले दो दिनों में ठीक से सो नहीं पातीं, जबकि 79.6 प्रतिशत महिलाएं रात को नींद में दाग लगने को लेकर चिंतित रहती हैं। 64.7 प्रतिशत महिलाओं ने मध्यम से लेकर गंभीर मेंस्ट्रुअल क्रैम्प अनुभव किए हैं। 53.1 प्रतिशत महिलाएं पीरियड्स के दौरान बाहर जाने से परहेज करती हैं। चार में से एक महिला (25.8 प्रतिशत) को नहीं मालूम था कि श्वेत स्त्राव होने पर क्या किया जाए और सिर्फ 32.8 प्रतिशत महिलाओं ने इस मुद्दे पर डॉक्टर से सलाह की।

सीईओ ने कहा

पैन हैल्थकेयर के CEO चिराग पैन इस सर्वे पर कहते हैं कि यदि हम पीरियड-फ्रैंडली दुनिया के सपने को हकीकत बनाना चाहते हैं तो पुरुषों को भी इसमें स्पष्ट रूप से भागीदारी निभानी होगी। अगर दुनिया की आधी आबादी मासिक धर्म के विषय पर बेपरवाह या अशिक्षित बनी रहेगी तो माहवारी के अनुकूल दुनिया बनाने का लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सकेगा। भारतीय समाज की वर्जनाएं पुरुषों के लिए इसे कठिन बना देती हैं कि वे इसे एक सामान्य घटना तौर पर स्वीकार कर सकें।

पुरुषों में जागरुकता की जरूरत

ऐवरटीन की निर्माता कंपनी वैट् एंड ड्राई पर्सनल केयर के CEO हरिओम त्यागी ने कहा कि हमारे सर्वे में शामिल महिलाओं ने भी इस पर जोर दिया कि मासिक धर्म के विषय पर पुरुषों के बीच ज्यादा जागरुकता जगाने की जरूरत है। तकरीबन 90 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि अपने पिता या भाई से पीरियड्स के बारे में बात करने में वे सहज महसूस नहीं करतीं, जबकि हर चार में से तीन महिलाआं  (77.4 प्रतिशत) को अपने पति के साथ भी इस पर बात करना असहज करता है। केवल 8.4 प्रतिशत महिलाएं ऐसी थीं जो कार्यस्थल पर अपने पुरुष सहकर्मियों के साथ मासिक धर्म संबंधी मुद्दों पर बात करने में सहज थीं।

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