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National task force से नाराजगी, डॉक्टरों की हड़ताल जारी

IMA का 21 अगस्त को ग्लोबल ब्लैक डे

नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। कोलकाता कांड के बाद भले ही सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल टास्क फोर्स बना दी लेकिन स्वास्थ्य सेवा पटरी पर नहीं लौटी है। बंगाल समेत कई राज्यों में रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल चल ही रही है। IMA 21 अगस्त को ग्लोबल ब्लैक डे मना रही है। उधर टास्क फोर्स को लेकर भी असंतोष है।

ठोस एक्शन पर अड़े रेजिडेंट डॉक्टर

रिपोर्ट के मुताबिक रेजिडेंट डॉक्टरों के संगठन ने तय किया है कि जब तक स्वास्थ्य मंत्रालय CPA यानी सेंट्रल प्रोटेक्शन एक्ट के मुद्दे पर ठोक कार्रवाई नहीं करेगा, तब तक हड़ताल जारी रहेगी। IMA ग्लोबल ब्लैक डे मनाने के लिए काले कपड़े पहनकर इस आंदोलन का समर्थन देंगे। उनका कहना है कि ग्लोबल ब्लैक मूवमेंट तब तक जारी रहेगा, जब तक जमीनी स्तर पर बदलाव नहीं दिखता। इस आंदोलन के तहत सरकार से न्याय और सुरक्षा की मांग की जा रही है। IMA एकजुट होकर अपना मौन विरोध दर्ज करेगा।

नर्सिंग समुदाय को भी चाहिए भागीदारी

उधर नर्सिंग अधिकारियों और रेजिडेंट डॉक्टरों ने टास्क फोर्स में अपनी अनुपस्थिति पर चिंता व्यक्त की है। कमजोर अस्पतालों का भी कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। जिनका प्रतिनिधित्व है वहां स्वास्थ्य कर्मियों के साथ हिंसा की घटना न के बराबर है। रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (RDA) की राष्ट्रीय संस्था फेडरेशन ऑफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (FAIMA) का कहना है कि वे टास्क फोर्स में रेजिडेंट डॉक्टरों को शामिल करने के लिए अदालत से अपील करेंगे।

हेल्थ वर्कफोर्स में 80 फीसद नर्सें

नर्साें की संस्था ऑल इंडिया गवर्नमेंट नर्सेज फेडरेशन (AIGNF) की अध्यक्ष अनीता पंवार ने भी टास्क फोर्स से नर्सिंग पेशेवरों को बाहर रखने पर नाराजगी जताई। नर्सें भी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली का एक अहम हिस्सा हैं। हेल्थ वर्कफोर्स में नर्सों की भागीदारी 80 फीसद से ज्यादा है। इसमें महिलाओं की संख्या अधिक है। इसलिए नीति-निर्माण में हम सबों की भी सहभागिता हो। सेंट्रल गवर्नमेंट नर्सेज फेडरेशन (CGNE) ने भी समिति से नर्सों को बाहर करने पर निराशा व्यक्त की।

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