पटना (स्वस्थ भारत मीडिया)। माना जाता है कि गंगा का पानी सर्वाधिक पवित्र होता है लेकिन बिहार में गंगा के मैदानी इलाकों में आर्सेनिक युक्त पानी पीने से कैंसर के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। पटना समेत 20 जिलों में गॉल ब्लेडर कैंसर प्रमुख रूप से मौत का कारण बन रहा है।
जापान के साथ मिलकर होगी स्टडी
रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं में इस बीमारी का खतरा पुरुषों की तुलना में 10 फीसद अधिक है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ इसे राज्य के लिए एक गंभीर स्वास्थ्य चुनौती मान रहे हैं। महावीर कैंसर संस्थान एंड रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिकों ने इस समस्या के समाधान के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग की दिशा में कदम बढ़ाया है। जापान के शोधकर्ताओं के साथ मिलकर वे गंगा के पानी में मौजूद आर्सेनिक से होने वाले कैंसर के बढ़ते मामलों पर अध्ययन करेंगे। इसका उद्देश्य गॉल ब्लेडर कैंसर के मामलों में वृद्धि के पीछे के कारणों को समझना और उसके उपचार व रोकथाम के लिए नई रणनीतियों का विकास करना है। आर्सेनिक युक्त पानी के कारण न केवल कैंसर, बल्कि अन्य गंभीर बीमारियां भी फैल रही हैं।
पिछले साल रिसर्च में हुआ था खुलासा
खबर के अनुसार साल 2023 में महावीर कैंसर संस्थान ने अपने रिसर्च में ये खुलासा किया था कि गंगा के मैदानी इलाकों के 20 जिलों में आर्सेनिक पानी से गॉल ब्लैडर कैंसर का खतरा बढ़ रहा हैं। इन जिलों में ज्यादा लोग गॉल ब्लैडर कैंसर से ग्रसित हो रहे हैं। महावीर कैंसर संस्थान के वैज्ञानिकों का मानना है कि बिहार के गंगा के मैदानी इलाके में कैंसर मरीजों की संख्या कई गुना बढ़ गई है। पिछले 10 सालों में ये मामले तेजी से बढ़े हैं जो चिंता का विषय है।
इन जिलों में कैंसर के अधिक मामले
जिन जिलों में कैंसर के अधिक मामले मिले हैं उनमें बक्सर, भोजपुर, पटना, सारण, वैशाली, समस्तीपुर, गोपालगंज, पश्चिमी चंपारण, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया, किशनगंज, सहरसा, मधेपुरा, कटिहार, मुंगेर और भागलपुर आदि है।