नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। AI आधारित तकनीक के इस्तेमाल से चीन ने सूखे खून के एक कतरे भर से कैंसर का पता लगाने के तरीके पर काम किया है। इसमें प्रारंभिक प्रयोगों में उपकरण को कैंसर का पता लगाने में केवल कुछ मिनट ही लगे। इसके साथ ही यह अग्नाशय, गैस्ट्रिक या कोलोरेक्टल कैंसर वाले रोगियों और बिना कैंसर वाले लोगों के बीच अंतर करने में सक्षम था। शोधकर्ताओं का कहना है कि खून में कुछ रसायनों का पता लगाकर टेस्ट के लिए जरिए लगभग 82 से 100 प्रतिशत मामलों में कैंसर का पता लगाया जा सकता है।
मशीन लर्निंग का इस्तेमाल
लाइव साइंस की रिपोर्ट के अनुसार नए उपकरण में मशीन लर्निंग का इस्तेमाल किया गया है, जो ब्लड सैंपल में मेटाबोलाइट्स के बाई प्रोडक्ट का विश्लेषण करता है। मेटाबोलाइट्स खून के तरल हिस्से में पाए जाते हैं, जिन्हें सीरम के रूप में जाना जाता है। ये मेटोबोलाइट्स बायोमार्कर के रूप में काम करते हैं, जो शरीर में संभावित रूप से कैंसर की उपस्थिति का पता लगा सकते हैं। इस टेस्ट को विकसित करने वाले चीन के वैज्ञानिकों ने नेचर सस्टेनिबिलिटी जर्नल में प्रकाशित एक पेपर में अपने निष्कर्षों के बारे में बताया है।
सूखे रक्त को संरक्षण भी संभव
स्टडी के नतीजे इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि दुनिया सबसे घातक कैंसरों में से कुछ होने के बावजूद, अग्न्याशय, कोलोरेक्टल और गैस्ट्रिक कैंसर के लिए अभी कोई ब्लड टेस्ट नहीं है जो बीमारी का सटीक पता लगाने में सक्षम हो। इसकी जगह डॉक्टर आमतौर पर कैंसर का पता लगाने के लिए इमेजिंग या सर्जरी के तरीके का इस्तेमाल करते हैं। वहीं, नए टेस्ट में कैंसर का पता लगाने के लिए 0.05 मिलीलीटर से भी कम खून की आवश्यकता होगी। अल्बर्ट आइंसटीन कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर चुआन कुआंग ने बताया कि लिक्विड ब्लड की तुलना में सूखे रक्त को एकत्र करना, सुरक्षित रखना और एक जगह से दूसरी जगह पर ले जाना काफी कम कीमत में और आसान उपकरणों की मदद से किया जा सकता है।