नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। जेनेरिक दवा अनिवार्य रूप से मरीजों को लिखने की बाध्यता पर इन दिनों सरकार और डॉक्टरों की संस्था इंडियन मेडिकल एसोसिएशन आमने-सामने है। इसके अलावा भी कुछ बिंदु हैं जिस पर पउं को आपत्ति है। इस बार में पउं ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया को एक पत्र लिखकर जेनेरिक दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित होने तक नियमों को वापस लेने की मांग की है।
मंत्री से मिलकर भी जतायी चिंता
IMA ने उन नियमों पर भी चिंता व्यक्त की जो डॉक्टरों को फार्मा कंपनियों द्वारा प्रायोजित सम्मेलनों में भाग लेने से रोकते हैं। मीडिया खबरों के मुताबिक उसने कहा कि इस तरह के निषेध पर पुनर्विचार की आवश्यकता है। उसने मांग की कि संघों और संगठनों को NMC नियमों के दायरे से छूट दी जानी चाहिए। IMA और इंडियन फार्मास्युटिकल अलायंस के सदस्यों ने एक दिन पहले ही मांडविया से मुलाकात कर इन नियमों पर अपनी चिंता व्यक्त की।
पाबंदियों पर पुनर्विचार हो
IMA ने पत्र में कहा है कि नैतिक आचरण और पक्षपात रहित प्रशिक्षण माहौल सुनिश्चित करने की इरादा वाजिब है, लेकिन फार्मा कंपनियों या स्वास्थ्य तंत्र द्वारा प्रायोजित तृतीय पक्षीय शिक्षण गतिविधियों पर सीधे-सीधे पाबंदी पर पुनर्विचार होना चाहिए। इसका सीधा असर मरीज की देखभाल और सुरक्षा पर पड़ता है। रोगी की देखभाल और सुरक्षा सरकार और चिकित्सा पेशे, दोनों के लिए अपरिहार्य है।