हिंदी विश्वविद्यालय ने मनाया भारतीय भाषा उत्सव
वर्धा (स्वस्थ भारत मीडिया)। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ योजना के अंतर्गत भारतीय भाषा उत्सव कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने कहा कि हमें अपनी भाषा के प्रति गौरव होना चाहिए। भाषाओं के प्रयोग से उनकी पहचान कायम रहेगी और उनका गौरव भी बढे़गा।
भारतीय भाषा उत्सव का हुआ आयोजन
कुलपति प्रो. शुक्ल की अध्यक्षता में महाकवि सुब्रमण्यम भारती का जन्मदिवस भारतीय भाषा उत्सव के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर प्रतिकुलपति द्वय प्रो. हनुमानप्रसाद शुक्ल, प्रो. चंद्रकांत रागीट, कुलसचिव क़ादर नव़ाज ख़ान, डॉ. प्रियंका मिश्रा, श्री मंजप्पा मंचासीन थे। प्रो. शुक्ल ने कहा कि भाषाएं प्रयोग में न होने के कारण लुप्त होती जा रही हैं। संविधान सम्मत कुछ भाषाओं में अखबार तक नहीं निकलता है। कुछ भाषाएं लुप्त हुई हैं। उन्होंने इजराइल और बाल्टिक देशों का उदाहरण देते हुए कहा कि इजराइल ने अपनी भाषा के लिए वर्षों तक संघर्ष किया। आज वे हिब्रू भाषा में अपना कामकाज करते है। उन्होंने कहा कि प्रयोग में न आने के कारण शब्द मर जाते हैं।
वंदे मातरम का कई भाषाओं में पाठ
कार्यक्रम के दौरान महाकवि सुब्रमण्यम भारती द्वारा मूल तमिल में रचित कविता ‘वंदे मातरम’ का विश्वविद्यालय के अध्यापकों और अधिकारियों द्वारा विविध भारतीय भाषाओं में पाठ किया गया। डॉ.रामानुज अस्थाना ने तमिल, डॉ. सुनील कुमार ने हिंदी, डॉ. ज्योतिष पायेंग ने असमी, डॉ. वागीश राज शुक्ल ने संस्कृत, डॉ. हरप्रीत कौर ने पंजाबी, डॉ. संदीप सपकाले ने मराठी, डॉ. एच. ए. हुनगुंद ने कन्नड़, डॉ. हिमांशु शेखर ने उर्दू, डॉ. के बालराजु ने तेलुगु, डॉ. ओमप्रकाश भारती ने नेपाली, डॉ. कृपाशंकर चौबे ने बांग्ला, डॉ. नरेंद्र पाल ने गुजराती, डॉ. अमित विश्वास ने मैथिली तथा डॉ. भरत कुमार पंडा ने ओडिया में इसका पाठ कर लघु भारत का एहसास कराया।
महाकवि भारती के कार्यों का हुआ उल्लेख
जनसंचार विभाग के अध्यक्ष प्रो. कृपाशंकर चौबे ने कहा कि यूजीसी द्वारा जारी अवधारणा पत्र के अंतर्गत महाकवि सुब्रमण्यम भारती की जयंती के उपलक्ष्य में भारतीय भाषा उत्सव मनाया जा रहा है। महाकवि भारती के विभिन्न रचनात्मक कार्यों का उन्होंने उल्लेख भी किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने ‘मिले सुर मेरा तुम्हारा’ का गायन विभिन्न भारतीय भाषाओं में प्रस्तुत किया।