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भारत पारम्परिक चिकित्सा पद्धति को मजबूत बनाने के लिए प्रतिबद्ध : सोनोवाल

नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। केंद्रीय आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि भारत आयुष के क्षेत्र में साक्ष्य आधारित वैज्ञानिक अनुसंधान को मजबूत बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। वे दिल्ली के विज्ञान भवन में यूनानी दिवस के अवसर पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के शुभारम्भ पर मुख्य अतिथि के रूप में भाग ले रहे थे। इस अवसर पर केंद्रीय यूनानी चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (CCURM) के विभिन्न प्रकाशन, अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन स्मारिका, ऑनलाइन जर्नल का विमोचन किया गया। दो CCRUM संस्थानों को एनएबीएच प्रमाण पत्र दिए गए एवं यूनानी चिकित्सा में सामान्य उपचारों पर एक मोबाइल ऐप का भी शुभारम्भ किया गया।

पारंपरिक चिकित्सा में हमारी अग्रणी भूमिका

उन्होंने कहा कि WHO CGTM की स्थापना इस बात का संकेत है कि हम दुनिया में पारंपरिक चिकित्सा में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। हमें अपनी अनुसंधान क्षमताओं और शैक्षणिक सुविधाओं तथा साक्ष्य-आधारित अनुसंधान को मजबूत करने की दिशा में काम करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि मरीजों की समग्र देखभाल प्रणाली के लिए एक मजबूत स्वास्थ्य प्रणाली बनाने के उद्देश्य से केंद्रीय बजट में आयुष मंत्रालय के बजट में 20 प्रतिशत की भारी वृद्धि की गई है। यूनानी चिकित्सा प्रणाली को भी भारी समर्थन मिला है और यह वर्ष 2014 से बढ़ रही है। हाल ही गाजियाबाद में यूनानी चिकित्सा में सबसे बड़े संस्थान राष्ट्रीय यूनानी चिकित्सा संस्थान भी चालू किया गया है।

पारंपरिक उपचार से ही स्वास्थ्य समाधान

केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि यूनानी चिकित्सा पद्धति भारत की समृद्ध पारंपरिक चिकित्सा पद्धति है। हमने देखा कि कैसे आयुष आधारित उपचारों ने कोविड-19 महामारी के दौरान राहत प्रदान की। हमारे समृद्ध पारंपरिक उपचार के तरीके हमें स्थायी स्वास्थ्य समाधान प्रदान कर सकते हैं जो देश में मानव जीवन को समृद्ध बनाने में योगदान देंगे।

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