गांधीनगर (स्वस्थ भारत मीडिया)। दुनिया भर की पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के धुरंधरों को एक मंच पर लाकर अनेक महत्वपूर्ण पहलुओं पर संवाद करने के लिए आयोजित पहली विश्व स्वास्थ्य संगठन की पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों पर पहली ग्लोबल समिट का उद्धाटन डब्ल्यूएचओ के महासचिव डॉ. ट्रेडोस एडनोम गेब्रेयेसस ने यहां किया। इस शिखर सम्मेलन में 75 से भी अधिक देशों के प्रतिनिधि और अनेक देशों के स्वास्थ्य मंत्री भाग ले रहे हैं।
तुलसी का जिक्र किया डॉ. ट्रेडोस ने
डॉ. ट्रेडोस ने पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में भारत की ऐतिहासिक पहल की जमकर तारीफ की। उन्होंने भारत के घर-घर में पूजी जाने वाली तुलसी के गुणों का वर्णन करते हुए कहा कि ये मेरा सौभाग्य है कि मुझे तुलसी पौधा लगाने का मौका मिला।
पारंपरिक चिकित्सा को मिली नई पहचान
केंद्रीय आयुष मंत्री सर्बानंद सोणोवाल ने कहा कि सरकार के समर्थ नेतृत्व में पारंपरिक चिकित्सा को नई पहचान मिली है और आयुष मंत्रालय पारंपरिक चिकित्सा को जन-जन तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने कहा कि पारंपरिक औषधियों की फार्मास्यूटिकल और कॉस्मेटिक उद्योग में जबर्दस्त मांग है। दुनिया के 170 से भी अधिक देशों में इन औषधियों का किसी न किसी रूप में उपयोग हो रहा है।
प्रदर्शनी का आकर्षण रहा कल्पवृक्ष
सम्मेलन के पहले दिन ट्रेडिशनल मेडिसिन से जुड़ी फिल्म और वृत्त चित्र भी दिखाये गये। इन फिल्मों में देश-दुनिया में प्रचलित पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों को दिखाया गया। एक डिजिटल प्रदर्शनी का भी उद्घाटन हुआ जिसमें पारंपरिक चिकित्सा के तमाम रूपों को दर्शाया गया है। प्रदर्शनी में आकर्षण का केंद्र बिंदु बना पौराणिक कल्प वृक्ष का आधुनिक रूप। जिस तरह से कल्पवृक्ष इंसान की हर मनोकामना को पूर्ण करने का सामर्थ्य रखता है, उसी तरह पारंपरिक चिकित्सा पद्धति इंसान को हर तरह की रोग व्याधि से बचा सकती है।