नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने यहां 150 निजी मेडिकल कॉलेजों के प्रतिनिधियों के साथ कई मसलों पर सार्थक बातचीत की। उन्होंने निजी मेडिकल कॉलेजों से ‘सेवा भाव’ के साथ काम करने और एक जीवंत व ऊर्जावान चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र के सह-निर्माण के लिए साझेदारी की भावना से आगे आने का आग्रह किया। बैठक करीब 2 घंटे तक चली।
गुणवत्तापूर्ण मेडिकल शिक्षा पर बल
डॉ मंडाविया ने कहा कि चिकित्सा शिक्षा सुधार के लिए सरकार की आकांक्षा और दृष्टि तभी पूरी हो सकती है जब मेडिकल कॉलेज सक्रिय भागीदार हों। ऐसा माहौल बनाने के लिए विचार-विमर्श और संवाद बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि एक ईको-सिस्टम और वातावरण बनाने की आवश्यकता है जहां NMC और मेडिकल कॉलेज बेहतर गुणवत्ता वाली चिकित्सा शिक्षा के लिए एक लक्ष्य साझा करें। उन्होंने कहा कि सरकार ने 2014 में मेडिकल कॉलेजों की संख्या 387 मेडिकल कॉलेजों से बढ़ाकर 648 कर दी है।
एक जिला-एक मेडिकल कॉलेज की चर्चा
स्नातक स्तर पर चिकित्सा शिक्षा में सुधार के लिए एनएमसी द्वारा की गई विभिन्न पहलों को प्रतिभागियों के सामने प्रस्तुत किया गया। इसमें प्रधानमंत्री के ‘एक जिला, एक मेडिकल कॉलेज’ के दृष्टिकोण रखा गया शैक्षणिक कैलेंडर व अन्य मसलों पर भी चर्चा हुई। निजी मेडिकल कॉलेजों के प्रतिनिधियों ने इस दौरान NEET PG, NEXTT प्रवेश, फैकल्टी की सेवानिवृत्ति की आयु, पत्रिका प्रकाशन, ग्रामीण पोस्टिंग के लिए बांड, जिला रेजीडेंसी कार्यक्रम, सुपर स्पेशियलिटी से संबंधित सुझाव दिए।