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रसप्रिया…प्रेम में छूट जाना ही उसकी पराकाष्ठा

अब तक आपने ‘रसप्रिया-एगो प्रेम कहानी’ पर क्रिटिक विनोद अनुपम और स्वस्थ भारत के अध्यक्ष आशुतोष कुमार सिंह की राय पढ़ी। अब पढ़िए कुछ अन्य एक्सपर्ट की राय…

नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। ‘रसप्रिया-एगो प्रेम कहानी’ भले ही करीब 9 मिनट की हो लेकिन उसने दर्शकों पर अपनी छाप छोड़कर पहचान बना ली है। फिल्म क्रिटिक समेत बुद्धिजीवियों ने इसे सराहा है और इसके संगीत, गीत, फिल्मांकन और निर्देशन की तारीफ की है। कहा गया है कि प्रेम में छूट जाना ही उसकी पराकाष्ठा है। यही चरम ‘रसप्रिया’ में उतरा है।
इस बारे में अपने इंस्टाग्राम पोस्ट में फिल्म निर्माता अविनाश दास लिखते हैं कि रसप्रिया फणीश्वर नाथ रेणु जी की अद्भुत कहानी है। एक ऐसी प्रेमकथा, जिसको पढ़ कर आंखों की कोर भीग जाती है। बहुत पहले पटना और दिल्ली में इस कहानी के मंचन का मैं भी हिस्सा रहा हूं। हम जिस थिएटर ग्रुप “मंच” में थे, बाद में उसी ग्रुप से अमरेंद्र जुड़े। ज़ाहिर है, उन पर भी रेणु की कहानियों का रंग चढ़ा। अब वह मुंबई फ़िल्म इंडस्ट्री की जमात में शामिल हो गये। वह बहुत अच्छे अभिनेता हैं। उन्होंने यह लघु संगीतमय फ़िल्म बनायी है। मैं अमरेंद्र को उनकी पूरी टीम को बहुत सारी शुभकामनाएं देता हूं।
शेषनाथ पांडे कहते हैं कि जब हमने इसका फुटेज देखा और मैं भर गया। क्या सुन्दर गीत लिखा है अमरेंद्र भाई ने-बीतल समइया के कवन निहोरा…रेणु के यहां यथार्थ के साथ, लालित्य और करुणा का ऐसा समन्वय मिलता है जिसे अलहदा ढंग से पहचाना जा सकता है। जैसे सारा सईद कहती हैं-मैं एक हाथ से फूल थामती हूं और दूसरे हाथ से अपने पैरों का लहू पोछती हूं। अमरेन्द्र की रसप्रिया में यही लालित्य और करुणा यथार्थ के साथ रुपायित हो रहा है। अमरेंद्र का म्यूजिकल वीडियो ‘बटोही’ भी बेहद पसंद आया था मुझे, और मैं अक्सर उसे सुनता हूं। अमरेन्द्र की मेहनत और शिद्दत से यह रसप्रिया संभव हुआ।

पटना के लोकप्रिय कार्टूनिस्ट पवन टून लिखते हैं कि अमरेंद्र जी ने लॉकडाउन के दरम्यान बिहार लौटने वाले लोगों की त्रासदियों पर उन्होंने एक गीत फिल्माया था-बटोही। उस वक्त के हालातों पर जबरदस्त काम था उनका। तब से वे नज़र में हैं। इनकी फिल्मों पर नज़र डालें तो भैय्या जी. जोरम, बटाला हाउस., मुनुरेन आदि है। राजेश राजा लिखते हैं कि अमरेंद्र भाई, मजा आ गया क्योंकि मैंने फणीश्वरनाथ रेणु जी की कहानी तीसरी कसम और रसप्रिया को मिला कर, जिसका नाट्य रुपांतरण मित्र पुंज प्रकाश ने किया था, उसका नाट्य निर्देशन कर चुका हूँ और उसके देश भर में कई सारे शो कर चुका हूँ, इसलिए ये मेरे दिल के बहुत करीब है। मजा आ गया भाई, बहुत बढ़िया, बहुत-बहुत बधाई।
भास्कर विश्वनाथन लिखते हैं कि अमरेंद्र भाई लगातार अच्छा काम करने का प्रयास कर रहे हैं। मैंने उनसे इसके बारे में बहुत सुना था। कई बार उन्होंने मुझे यह कहानी सुनाई। हर बार मुझे उनकी आंखों में और चेहरे पर एक जैसा उत्साह दिखता था। उनका काम हर बार हमें अपनी सीमाओं को तोड़ कर कुछ और नया करने की प्रेरणा देता है, इसलिए यह अपने प्रियजनों से साझा करना जरूरी है…। परिवर्तन एक दिन में नहीं आता, यह एक सतत् क्रिया है, इसमें जो जितना भागीदार रहता है उसका उतना ही हिस्सेदार बनता है…। पूरी टीम को बहुत शुभकामनाएं।
मालूम हो कि इसके प्रोड्यूसरों में एक स्वस्थ भारत डॉट इन भी है। आप भी इस लिंक पर जाकर इसे देख सकते हैं-
https://www.youtube.com/watch?v=pKgWM8qnk2c

(जारी)

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