नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। देश के सम्मानित उद्योगपति रतन टाटा के टाटा ग्रुप ने बिजनेस सेक्टर में पताका फहराया ही, हेल्थ सेक्टर में भी उल्लेखनीय योगदान दिया। खासकर कैंसर के उपचार और अनुसंधान के क्षेत्र में। मुंबई का टाटा मेमोरियल अस्पताल तो दुनिया का सबसे बेहतरीन अस्पताल बन चुका है।
भारत का पहला कैंसर अस्पताल बना मुंबई में
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक टाटा समूह ने 1941 में मुंबई में टाटा मेमोरियल अस्पताल की स्थापना की। इसके साथ ही भारत में कैंसर के इलाज में एक क्रांति की नींव रखी गई जो उस समय भारत के लिए नयी बात थी। बाद में 1962 में अस्पताल का प्रबंधन स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंप दिया गया। जानकारी बताती है कि रतन टाटा को कैंसर के खर्चीले इलाज का अंदाजा था इसलिए टाटा मेमोरियल अस्पताल में कम खर्च में उन्नत इलाज मुहैया कराने की व्यवस्था की गयी।
7 राज्यों में कैंसर अस्पताल का निर्माण
इसके अलावा 2012 में टाटा ट्रस्ट ने में कैंसर के इलाज की सुविधा का प्रसार करने के लिए कोलकाता में टाटा मेडिकल सेंटर लॉन्च किया। आज टाटा ट्रस्ट आंध्र प्रदेश, असम, झारखंड, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, ओडिशा और गुजरात समेत सात राज्यों में 20 अस्पतालों के अपने नेटवर्क का विस्तार कर रहा है। इस काम के लिए राज्य सरकारों को आर्थिक सहायता भी मुहैया कराई गयी ताकि छोटे शहरों में कैंसर अस्पताल और उपचार संबंधी सुविधाएं स्थापित की जा सके। कैंसर के जल्द डायग्नोसिस के लिए कैंसर देखभाल केंद्र, डेकेयर सुविधाएं और स्क्रीनिंग बूथ का एक विशाल नेटवर्क बनवाया गया।
हेल्थ इंस्युरेंस में भी जुड़ा कैंसर का उपचार
रतन टाटा को अंदाजा था कि वित्तीय बाधाएं अक्सर लोगों को इलाज कराने से रोकती हैं इसलिए उन्होंने सरकारी बीमा योजनाओं में कैंसर के उपचार को शामिल करने पर जोर दिया। उनके प्रयास से यह हो भी गया। इसके अलावा मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ने कैंसर को दोबारा होने से रोकने के लिए एक टेबलेट बनाने का दावा किया था। संस्थान ने कहा कि इस टैबलेट की कीमत सिर्फ 100 रुपये होगी। इस टैबलेट को विकसित करने में एक्सपर्ट को 10 साल लग गये। अभी भी यह परीक्षण के दौर में ही है।