अजय वर्मा
नयी दिल्ली। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) को भले ही वैज्ञानिक भविष्य में मानव सभ्यता के लिए खतरा मान रहे हों लेकिन स्वास्थ्य के क्षेत्र में राहत की तकनीक साबित होगी। एम्स समेत दिल्ली के बड़े अस्पतालों ने इस पर आधारित इलाज की तरफ कदम बढ़ाया है और इसके शुरुआती नतीजे उत्साहवर्धक आ रहे हैं।
50 मरीजों पर ट्रायल सफल
खबरों के मुताबिक AIIMS के न्यूरोलॉजी विभाग ने लकवाग्रस्त 50 मरीजों पर इसका ट्रायल किया तो इन मरीजों को ठीक होने में महज एक महीने का वक्त लगा, जबकि सामान्य तौर पर इसमें आठ महीने तक का समय लग जाता है। अब इस सुविधा के विस्तार की दिशा में एम्स काम कर रहा है। वहीं, ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों की पहचान करने में भी एआई बेस मशीन मददगार बनी है। मरीज के पूरे शरीर को स्कैन करके इस तरह के मरीजों का सफल प्राथमिक इलाज किया गया। इस यंत्र को दूरदराज में भी भेजा गया है। इससे बगैर विशेषज्ञ चिकित्सक के भी जांच संभव हो सकी है।
रोबोटिक यंत्र से हुआ लकवाग्रस्त का इलाज
AIIMS ने IIT के साथ मिलकर इस रोबोटिक यंत्र को तैयार किया है। इसके कुछ घटक कृत्रिम बुद्धिमता (AI) पर आधारित हैं। यह जरूरत के आधार पर हाथ की कलाई और अंगुलियों का व्यायाम करवाता है। साथ ही व्यायाम की गति को कम या तेज भी कर सकता है। इस डिवाइस का ट्रायल न्यूरोलॉजी विभाग में आए 50 मरीजों पर किया गया है। इसके बाद एक ही माह में मरीज का हाथ काम करने लगता है।
नैनो रोबोटिक तैयार करने पर फोकस
विश्व स्तर पर कई कंपनियां नैनो रोबोटिक तैयार कर रही हैं। यह शरीर के सूक्ष्म हिस्से में सर्जरी करने में सक्षम होगी। अभी एम्स, सफदरजंग, दिल्ली स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट में रोबोटिक मशीन का इस्तेमाल हो रहा है, लेकिन यह मैनुअल हैं। इन्हें डॉक्टर कंट्रोल करता है। वहीं, नैनो एआई रोबोटिक सर्जरी मशीन में उक्त सर्जरी से जुड़े प्रोग्राम को अपलोड किया जाएगा। उसके बाद सर्जरी होगी। AIIMS-IIT के सहयोग से तैयार हुए AI बेस रोबोटिक ग्लव्स बनाने वाले डॉ. अमित मेहंदीरत्ता का कहना है कि किसी भी एआई डिवाइस को बनाने से पहले उससे संबंधित हजारों-लाखों की संख्या में डेटा जुटाया जाता है। साथ ही मशीन लर्निंग एल्गोरिदम तैयार किए जाते हैं। यह ऐसे प्रोग्राम हैं जो डेटा के पैटर्न को समझकर उसके आधार पर रिपोर्ट तैयार कर सकते है।
ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों को भी राहत
ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों की पहचान के लिए भी एम्स AI बेस यंत्र का प्रयोग कर रहा है। इसमें लक्षण, फोटो व दूसरी उपयोगी जानकारी को अपलोड करके मरीज की पहचान की जा सकती है। इसकी मदद से देश के दूर दराज क्षेत्रों में स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भी ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों की पहचान कर प्राथमिक इलाज दिया जा सकेगा।