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Superbug ने बढ़ाई चिंता, जायेगी करोड़ों लोगों की जान

कुणाल मिश्रा

नयी दिल्ली। दुनियाभर में एक तरफ Mpox और कोरोना का कहर कम होने का नाम नहीं ले रहा है। ऐसे में आए दिन नई-नई बीमारियां और वायरस निकलकर सामने आ रहे हैं। अब सुपरबग ने लोगों को चिंता में डाल दिया है। सुपरबग एक प्रकार का बैक्टीरिया होता है, जो आमतौर पर दवाओं के असर से नष्ट हो जाते हैं, लेकिन अब दवाओं का असर इन पर खत्म होने लगा है। इस बैक्टीरिया के चलते बीमारियों का ठीक होना मुश्किल होता जा रहा है। द लांसेट जर्नल में छपी एक स्टडी के मुताबिक सुपरबग दुनिया के लिए खतरे का सबब बनता जा रहा है। इसके चलते 2050 तक दुनिया में 4 करोड़ लोगों की मौत हो सकती है।

70 फीसद तक बढ़ेगा मौत का खतरा

स्टडी के शोधकर्ताओं के मुताबिक दुनिया में आने वाले कुछ समय में दवाओं के गलत इस्तेमाल या ओवरडोज से मौत होने का खतरा 70 फीसद तक बढ़ सकता है। दरअसल, सुपरबग बैक्टीरिया पर एंटीबायोटिक और सामान्य दवाओं का असर नहीं हो रहा है जिसके चलते इलाज करना मुश्किल हो रहा है और जान जाने का जोखिम बढ़ रहा है। मौत होने के पीछे का कारण एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस को माना जा रहा है। यह स्थिति तब होती है, जब दवाएं बैक्टीरिया और फंगस आदि को मारने में सक्षम नहीं होती हैं।

वयस्कों में AMR का ज्यादा खतरा

शोधकर्ताओं ने इस पर एक डेटा इकठ्ठा किया है, जिसमें देखा गया कि 1990 से 2021 तक एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) से होने वाली मौत का खतरा पांच साल से कम उम्र के बच्चों में तो 50 फीसद कम हुआ, लेकिन 70 साल से ज्यादा की उम्र वाले लोगों में यह खतरा 80 फीसद तक बढ़ गया। रिपोर्ट की मानें तो 2019 में सेप्सिस के कारण करीब 30 लाख लोगों की मौत हुई थी, जिसमें से एक तिहाई मामलों का कारण एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस था। इसलिए दवाओं का अधिक या गलत इस्तेमाल करना नुकसानदायक हो सकता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक 2050 में पहुंचने के बाद AMR का खतरा 8.2 मिलियन पहुंच सकता है।

(साभार)

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