नयी दिल्ली। Swasth Bharat Media
केंद्र सरकार सकारात्मक विकास करने के लिये यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रही है कि बच्चों का अच्छा पोषण हो, वे खुशहाल हों तथा महिलायें आत्मविश्वास से परिपूर्ण हों और आत्मनिर्भर बनें। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिये मंत्रिमंडल ने हाल ही में मंत्रालय की तीन महत्त्वपूर्ण कवच योजनाओं को मिशन मोड में क्रियान्वित करने को मंजूरी दी है। ये योजनायें है-मिशन पोषण 2.0, मिशन शक्ति और मिशन वात्सल्य।
क्या हैं कवच (Kavach)योजनायें
मिशन पोषण 2.0 एक एकीकृत पोषण समर्थन कार्यक्रम है। यह बच्चों, किशोरियों, गर्भवती महिलाओं और दुग्धपान कराने वाली माताओं में कुपोषण की चुनौतियों का समाधान करता है। इसके लिये पोषण तत्त्वों और उनकी आपूर्ति की एक रणनीतिक पहल की जाती है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिये एक ईको-प्रणाली बनाई जाती है, ताकि ऐसे तौर-तरीकों को विकसित और प्रोत्साहित किया जा सके, जो स्वास्थ्य, आरोग्य और रोग-प्रतिरोधक क्षमता का पोषण करें। पोषण 2.0 पूरक पोषण कार्यक्रम के तहत खाद्य-पदार्थों की गुणवत्ता तथा उनकी आपूर्ति को बेहतर बनाया जाता है।
मिशन पोषण 2.0
मिशन पोषण 2.0 के दायरे में तीन महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम व योजनायें हैं, जैसे आंगनवाड़ी सेवा, किशोरियों के लिये योजना और पोषण अभियान। इसका पूरा जोर मातृत्व पोषण, नवजात शिशु और बच्चों के आहार नियम, आयुष के जरिये एमएएम-एसएएम का उपचार और आरोग्य पर रहेगा। इसके तहत प्रमुख मंत्रालयों, विभागों, संगठनों के सहयोग से तथा मजबूत पहलों पर आधारित एकीकरण गतिविधियों के जरिये पूरा किया जायेगा। मालूम हो कि महिला और बाल विकास मंत्रालय ने एक मार्च, 2021 को पोषण ट्रैकर की शुरूआत की थी। पोषण ट्रैकर के तहत प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल बच्चों में कम वजन होने, उनके अंग-प्रत्यंग के विकारों की पहचान करने तथा पोषण सेवा आपूर्ति की निगरानी करने में किया जाता है। इसका कुल वित्तीय खर्चा 1,81,703 करोड़ रुपये है, जिसमें केंद्रीय योगदान के रूप में 1,02,031 करोड़ रुपये और राज्यों का हिस्सा 79,672 करोड़ रुपये है।
मिशन शक्ति
मिशन शक्ति महिलाओं के लिये एक एकीकृत नागरिक-केंद्रित जीवनपर्यन्त समर्थन योजना है। एकीकृत देखभाल, सुरक्षा, संरक्षण, पुनर्वास और सशक्तिकरण के जरिये महिलाओं को बंधन मुक्त किया जाता है। जीवन के विभिन्न चरणों में महिलाओं की प्रगति के क्रम में इसका इस्तेमाल किया जाता है। मिशन शक्ति की दो उप-योजनायें हैं-सम्बल और सामर्थ्य। सम्बल उप-योजना महिलाओं की सुरक्षा और संरक्षण के लिये है, जबकि सामर्थ्य उप-योजना महिलाओं के सशक्तिकरण के लिये। सम्बल उप-योजना में एकल केंद्र (ओएससी), महिला हेल्पलाइन (181-डब्लूएचएल) और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसी मौजूदा योजनायें शामिल हैं। इसके अलावा नारी अदालतें जैसा नया घटक जोड़ा गया है। सामर्थ्य उप-योजना में महिलाओं का सशक्तिकरण शामिल है। इसके तहत उज्ज्वला, स्वाधार गृह और कामकाजी महिला हाॅस्टल जैसी मौजूदा योजनाओं को रखा गया है। कामकाजी महिलाओं के बच्चों के लिये राष्ट्रीय क्रेच योजना तथा प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना को भी ‘सामर्थ्य’ में समाविष्ट कर दिया गया है। इसका कुल वित्तीय खर्च 20989 करोड़ रुपये है, जिसमें केंद्र का हिस्सा 15761 करोड़ रुपये और राज्य का हिस्सा 5228 करोड़ रुपये है।
मिशन वात्सल्य
बच्चों से सम्बंधित मिशन वात्सल्य को नीति निर्माताओं ने सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्पदा के रूप में माना है। भारत में 18 वर्ष तक की आयु के 472 मिलियन बच्चे हैं, जो देश की कुल आबादी का 39 प्रतिशत हैं। इसका उद्देश्य है भारत के हर बच्चे को स्वस्थ और खुशहाल बचपन प्रदान करना। इसके अलावा योजना के उद्देश्यों में बच्चों के विकास के लिये एक संवेदनशील, सहायक और समयानुकूल ईको-प्रणाली बनाना, बाल न्याय अधिनियम, 2015 के तहत न्याय प्रदान करने में राज्यों-केंद्र शासित प्रदेशों की सहायता करना तथा सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करना भी शामिल है। सभी तीनों अभियानों को 15वें वित्त आयोग अवधि 2021-22 से 2025-26 के दौरान क्रियान्वित किया जायेगा। इसका कुल वित्तीय खर्च 10916 करोड़ रुपये है, जिसमें केंद्र का हिस्सा 6298 करोड़ रुपये तथा राज्य का हिस्सा 3988 करोड़ रुपये है।