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WHO ने Mpox के पहले डायग्नोस्टिक टेस्ट को दी मंजूरी

कुणाल मिश्रा

नयी दिल्ली। दुनियाभर में Mpox के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। पड़ोसी देशों में फैलने के बाद अब Mpox भारत में भी लोगों को प्रभावित कर रहा है। भारत में अभी तक तीन मामले सामने आ चुके हैं जिसमें से दो केरल से तो एक हरियाणा के हिसार से सामने आया है। बढ़ते मामलों के बीच अब WHO ने हाल ही में Mpox के पहले डायग्नोस्टिक टेस्ट को मंजूरी दे दी है। इस प्रक्रिया के तहत घाव से स्वैब लेकर एमपॉक्स की पहचान की जा सकती है। WHO ने एबोट लैबोरेटरीज को एमपॉक्स की टेस्टिंग को इमरजेंसी उपयोग की अनुमति दी है।

घाव से चलेगा Mpox का पता

एबोट कंपनी द्वारा किए जाने वाले इस एमपॉक्स को एलिनिटी एम एमपीएक्सवी एस (Alinity m MPXV assay) नाम दिया गया है। टेस्टिंग की यह प्रक्रिया आम जांचों से थोड़ी अलग है। इस प्रक्रिया के तहत पीड़ित व्यक्ति की त्वचा पर होने वाले घावों के जरिए स्वैब लेकर डीएनए का पता लगाया जाएगा जिससे एमपॉक्स का पता लगाया जा सकेगा। यह एक प्रकार का रीयल टाइम पीसीआर टेस्ट है। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि घाव के सैंपल लेकर संदिग्ध मामलों का पता आसानी से लगाया जा सकेगा।

कांगो में 600 से ज्यादा मौत

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कांगों में एमपॉक्स के चलते अभी तक 650 से भी ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। यह अबतक 100 से भी ज्यादा देशों में फैल चुका है। हालांकि, अभी तक इसका कम्यूनिटी ट्रांसमिशन नहीं हुआ है। भारत में भी इस वायरस को लेकर सावधानियां बरती जा रही हैं। अब टेस्टिंग के बाद से एमपॉक्स के संदिग्ध मरीजों का पता आसानी से चल सकेगा। भारत में कई राज्यों में मरीजों के लिए आइसोलेशन वार्ड भी बनाए गए हैं। साथ ही एयपोर्ट्स पर भी यात्रियों की कड़ी निगरानी की जा रही है।

(साभार)

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