रेवाड़ी (हरियाणा)/ 03.11.2015
चंद्रकांत ने स्वस्थ भारत डॉट इन को बताया की कई बर्षों से एनएचएम कर्मी लगातार संघर्ष कर रहे है पर सरकार हमारी एक नहीं सुन रही है। हरियाणा सरकार ने तो प्रताड़ना की सारी हदें पार कर दी है। एनएचएम कर्मियों के नियमितीकरण तो दूर कॉन्ट्रैक्ट पर बहाल चिकित्साकर्मिओं की छटनी पर ही आमादा है। जहाँ एक तरफ स्थाई कर्मचारियों को बेहतर वेतन और सुबिधायें मिल रही है, वही एनएचएम कर्मियों का शोषण किया जा रहा है। हाल में ही हरियाणा सरकार ने अपने अधिकारीयों को लक्ज़री कारें भेट की है वही कर्मचारियों को बुनियादी सुबिधाओं से भी वंचित रखा जा रहा है। ऐसे में राज्य के चिकित्सा कर्मियों का मनोबल टुटा है। कई बार वे चिकित्सा मंत्री और मुख्यमंत्री के दरवाजे खटखटा चुके है। चंद्रकांत ने एनएचएम कर्मचारियों के स्थाईकरण के मामले में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के सीधे हस्तक्षेप की मांग की है ।
सामान वेतन के साथ हो स्थाईकरण
एनएचएम कर्मियों की मांग कर रहे हैं की उन्हें सामान कार्य हेतु सामान वेतन के साथ ही यथाशीघ्र स्थाई नियुक्ति दी जाए। अपनी मांगो को लेकर स्वास्थ्य कर्मी कई बार आंदोलन और हड़ताल कर चुके है, वावजूद इसके सरकार की नींद नहीं खुल रही है। एनएचएम कर्मचारी संघ के प्रमुख चंद्रकांत यादव ने बताया की उन्होंने पीएमओ को पत्र लिखकर इस विषय पर अवगत करा चुके है। पीएमओ स्थाईकरण का मामला राज्य सरकार का बोलकर अपना पल्ला झाड़ रही है, इधर खट्टर सरकार ने स्थाईकरण को केंद्र के बजट पर आधारित योज़ना बताकर कर्मचारियों को गुमराह कर रहे । राज्य और सरकार को चाहिए कि आपस में तालमेल बिठा कर नियमितीकरण की समस्या का हल निकाले । आखिर कबतक लाखों कर्मियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ होता रहेगा ?
नियमित होने के इंतज़ार में उम्र सीमा पार
ऐसे कई कर्मचारी है जो बरसों से एनएचएम योजनाओं में काम कर रहे है, ज्यादातर 35-40 उम्र सीमा पार कर चुके है। ऐसे में राज्य सरकार या केंद्र सरकार के उपक्रमों में होने वाली परमानेंट भर्ती में आवेदन करने के अधिकार से वंचित हो चुके है। एक तरफ तो इन्हे अपने प्रोफेशनल करियर को नुकसान होता दिख रहा है, दूसरी तरफ कम वेतन होने से आर्थिक तंगियों में परिवार का गुजारा करने को विवश हैं ।
सुरक्षित नहीं एनएचएम की नौकरी
कर्मचारियों कहते है कि एनएचएम की नौकरी सुरक्षित नहीं है । हरियाणा सरकार जिस तरह कर्मचारियों की छटनी कर रही, इससे स्पस्ट है वे कर्मचारियों का हित नहीं चाहते। अगर सरकार चाहती तो छटनी करने के बजाय विकल्प ढूंढती। शासन के अधिकारी कॉन्ट्रैक्ट कर्मियों को हीन भावना से देखते है कई बार अनावश्यक रूप से प्रताड़ित करतें है। यहाँ नौकरी का कोई भरोषा नहीं । हमें हमेशा ही डर के साये में काम करना पड़ता है । क्या पता कब बर्खास्तगी का फरमान सुना दिया जाए।
मोदीजी पहल करें तो बात बन सकती है
चंद्रकांत यादव ने कहा की राज्य सरकार पर उन्हें कतई भरोषा नहीं है। देश भर में लाखों स्वास्थ्य कर्मी एनएचएम की विभिन्न योज़नाओं में काम कर रहे है । देश की स्वास्थ्य व्यवस्था राष्ट्रीय ग्रामीण स्वस्थ मिशन पर ही है। चाहे सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में टीकाकरण हो या जिले के अस्पतालों में इलाज़ व ऑपरेशन बगैर एनएचएम डॉक्टर, नर्सिंग, पैरामेडिकल स्टाफ और कर्मचारियों के मुंकिन नहीं । हम चाहते है की माननीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी सीधे हस्तक्षेप करें तभी स्थाईकरण की समस्या हल निकलना मुंकिन होगा ।
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