नेशनल फार्मास्यूटिकल्स प्राइसिंग ऑथिरिटीः 6 महीनों से चेयरमैन नसीब नहीं
इंजेती श्रीनिवास 6 माह पूर्व बन चुके है भारतीय खेल प्राधीकरण के डीजी, उन्हीं के पास है एनपीपीए का अतिरिक्त प्रभार
नई दिल्ली/आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि देश को सस्ती व सुलभ दवाइयां उपलब्ध कराने का दावा करने वाला सरकारी नियामक नेशनल फार्मास्यूटिकल्स प्राइसिंग ऑथोरिटी (एन.पी.पी.ए) बिना चेयरमैन के चल रहा है ! जो पाठक एन.पी.पी.ए का नाम पहली बार सुन रहे हैं उनको यह जानना जरूरी है कि एन.पी.पी.ए ही पूरे भारत में दवाइयों की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने वाली सरकारी एजेंसी है। ड्रग प्राइस कंट्रोल ऑर्डर को लागू करने की जिम्मेदारी एन.पी.पी.ए पर ही है। अर्थात् यदि आपको 2 रुपये की जगह 20 रुपये में दवाइयां मिल रही हैं, तो जिम्मेदार एन.पी.पी.ए ही है। कंपनियों से दवाइयों का उत्पादन डिटेल मंगाने से लेकर दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित कराने तक की जिम्मेदारी इस प्राधिकरण पर है। इतनी बड़ी जिम्मेदारी है के बावजूद पिछले 6 महीनों से एनपीपीए ने अपने चेयरमैन की नियुक्ति नहीं की है।
गौरतलब है कि मार्च 2015 में ही इंजेती श्रिनिवास को स्पोर्ट्स ऑथोरिटी ऑफ इंडिया (साई) में डायरेक्टर जनरल (डीजी) बनाकर भेजा जा चुका हैं। फिलहाल उनके पास एनपीपीए चेयरमैन की अतिरिक्त जिम्मेदारी है। नीचे दिए इस चार्ट को ध्यान से देखिए। आपको समझ में आ जायेगा कि एनपीपीए के चेयरमैन के पास कितनी जिम्म्दारियां होती हैं।
सबसे रोचक बात तो यह है कि पिछले 6 महीने से इतना महत्वपूर्ण विभाग अनाथ पड़ा हुआ है लेकिन उसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। सोचनीय प्रश्न यह है कि खुद एनपीपीए ही जब बीमार है वह देश की जनता को कैसे बेहतर, सस्ती व सुलभ दवाइयां उपलब्ध करा पायेगा।