यूपी सरकार किसी के बहकावे में न आए…दोषियों को सजा दें औऱ जनता को न्याय
आपने PAID Reporting रिपोर्टिंग का नाम सुना होगा मतलब पैसे लेकर खबर लिखना। वैसे पत्रकारिता में आजकल यह आम बात हो गई है ! पर दैनिक जागरण जैसा प्रतिष्ठित अख़बार ऐसी गैर जिम्मेदार हरकत करे यह दुःखद है। दैनिक जागरण लखनऊ संस्करण में छपी इस न्यूज़ में जस्टिस के एल शर्मा शर्मा के रिपोर्ट के हवाले से कहा गया है कि पूरी तरह क़ानूनी रूप से दवा दुकान चलने हेतु यूपी को करीब ढाई लाख फार्मासिस्ट चाहिए। आपत्ति उनकी सर्वे रिपोर्ट पर विल्कुल नहीं पर, हाँ शर्मा जी के सुझाव पर जरूर है ! क्या #जज_साहेब ने इसपर स्टडी नहीं की कैसे सारे नियम कानून ताक पर रखकर गैर क़ानूनी रूप से लाखों ड्रग लाइसेंस बनाये गए ? अरे जज साहब, ख़ुशी होती जब आप अपनी निष्पक्ष जांच कर सीबीआई जांच हेतु अनुशंसा करते और ड्रग लाइसेंस घोटाले में लिप्त दोषी #FDA अधिकारिओं को फांसी की सजा की मांग करते ! मेरी बात अभी पूरी नहीं हुई…इस खबर की बारीकियों से देखने से साफ़ पता चलता है की ऑल इंडिया केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट फेडरेशन #AICDF का पक्ष सुना गया। लिखा भी गया… पर #फार्मासिस्ट_एसोसिएशन, स्टेट फार्मेसी कॉउंसिल या फार्मेसी कौंसिल ऑफ़ इंडिया को अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया गया ! फिलहाल मात्र दो आरोप ही लगाउँगा !
पहली: जज साहब (के0एल0शर्मा) ने रिपोर्ट बनाने के लिए कितने पैसे खाए ?
दूसरी : इस खबर को बनाने वाले पत्रकार #डॉ.संजीव ने कितने पैसे खाए ?
मेरी बात अभी भी ख़त्म नहीं हुई। यूपी को मात्र ढाई लाख फार्मासिस्ट चाहिए ! मात्र ढाई लाख…. अरे जनाब मैं यूपी को पांच लाख फार्मासिस्ट देने को तैयार हूँ अगर यूपी की सरकार और आल इंडिया केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट फ़ेडरेशन की औकात हो तो …कानून सम्मत हर दवा की दुकान में उनकी योग्यता के अनुरूप सम्मानजनक वेतन देकर फार्मासिस्ट नियुक्त करे ! अभी भी बात खत्म नहीं हुई ! मुंबई में एक फार्मासिस्ट को दवा की दुकान में पच्चीस हज़ार प्रतिमाह वेतन मिलते है ! बताना भूल गया था।