स्वस्थ भारत मीडिया
स्वास्थ्य की बात गांधी के साथ / Talking about health with Gandhi

राम नाम अंतर्मन को शुद्ध करता है

स्वास्थ्य की बात गांधी के साथ वेब सीरीज का आठवे खंड में प्राकृतिक चिकित्सा में राम नाम के महत्व की चर्चा कर रहे हैं। अमित त्यागी महात्मा गांधी लिखित साहित्य से उन उद्धरणों को लेकर आए हैं, जिसमें महात्मा गांधी ने राम नाम का स्वास्थ्य से जुड़े तारों को समझाया है। संपादक
 

 
 
 
अमित त्यागी
प्राकृतिक उपचार के इलाज़ मे सबसे समर्थ इलाज़ राम नाम है। इसमे अचंभे की कोई बात ही नहीं है। एक प्रकरण का ज़िक्र करते हुये गांधी जी कहते हैं कि, एक मशहूर वैद्य ने अभी मुझसे कहा कि मैंने अपनी सारी ज़िंदगी मेरे पास आने वाले बीमारों को तरह तरह की दवा की पुड़िया देने मे बितायी हैं। लेकिन जब अपने शरीर के रोगों को मिटाने के लिये राम नाम की दवा बतायी है, तब मुझे याद पड़ा कि चरक और वाग्भट्ट जैसे हमारे पुराने धन्वंतरियों के वचनों से भी आपकी बात की पुष्टि मिलती है। आध्यात्मिक रोगों (व्याधियों) को मिटाने के लिये राम नाम के जप का इलाज़ बहुत पुराने जमाने से यहां होता आया है लेकिन चूंकि, बड़ी चीज़ में छोटी चीज़ भी समा जाती है, इसलिए मेरा ये दावा है कि हमारे शरीर की बीमारियों को दूर करने के लिये भी राम नाम का जप सब इलाजों का इलाज़ है।
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कोई भी प्राकृतिक उपचार अपने बीमार को यह नहीं कहेगा कि तुम मुझे बुलाओ तो मैं तुम्हारी सारी बीमारी दूर कर दूंगा। उपचार बीमार को सिर्फ ये बता सकता है कि प्राणी मात्र में रहने वाला और सब बीमारियों को मिटाने वाला तत्व कौन सा है ? और किस तरह उस तत्व को जागृत किया जा सकता है। अगर आज हिंदुस्तान इस तत्व की ताक़त को समझ जाये तो हम आज़ाद तो हो ही जाये लेकिन उसके अतिरिक्त आज हमारा जो देश बीमारियों और कमजोर तबीयतवालों का घर बन बैठा है वह तंदुरुस्त और ताकतवर शरीर वाले लोगों का देश बन जाये। राम नाम की शक्ति की अपनी कुछ मर्यादा है और उसके कारगर होने के लिये कुछ शर्तों का पूरा होना जरूरी है। राम नाम कोई जंतर मंत्र या जादू टोना नहीं है। अपने स्वाद पर काबू नहीं रखने वालों के लिए राम नाम किसी काम का नहीं है। राम नाम का उपयोग अच्छे काम के लिये होता है। बुरे कामों के लिये होता तो चोर और डाकू सबसे बड़े राम भक्त बन जाते और हर समय राम धुन गाते रहते। राम नाम उनके लिये है जो दिल से साफ हैं और दिल की सफाई करके हमेशा पाक साफ रहना चाहते हैं। भोग-विलास की शक्ति या सुविधा पाने के लिये राम नाम कभी साधन नहीं बन सकता है।
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“बादी का इलाज़ राम नाम नहीं उपवास है। उपवास का काम पूरा होने पर प्रार्थना का काम शुरू होता है। सच यह है कि प्रार्थना से उपवास का काम आसान और हल्का हो जाता है। जो डाक्टर बीमार की बुराइयों को बनाए रखने या उन्हे सहेजने में अपनी होशियारी का उपयोग करता है वह खुद गिरता है और अपने बीमार को भी नीचे गिराता है। अपने शरीर को अपने सृजनहार की पूजा के लिये मिला हुआ एक साधन समझने के बदले उसी की पूजा करने और उसको किसी भी तरह बनाए रखने के लिये पानी की तरह पैसा बहाने से बढ़कर बुरी गत और क्या हो सकती है? राम नाम रोग को मिटाने के साथ ही साथ आदमी को भी शुद्ध बनाता है। यही राम नाम का उपयोग है और यही उसकी मर्यादा है”।  (हरिजन सेवक, 7 अप्रैल 1946)
7-कुदरती ईलाज़ का महत्व
नोटः महात्मा गांधी ने जितने भी प्रयोग किए उसका मकसद ही यह था कि एक स्वस्थ समाज की स्थापना हो सके। गांधी का हर विचार, हर प्रयोग कहीं न कहीं स्वास्थ्य से आकर जुड़ता ही है। यहीं कारण है कि स्वस्थ भारत डॉट इन 15 अगस्त,2018 से उनके स्वास्थ्य चिंतन पर चिंतन करना शुरू किया है। 15 अगस्त 2018 से 2 अक्टूबर 2018 के बीच में हम 51 स्टोरी अपने पाठकों के लिए लेकर आ रहे हैं। #51Stories51Days हैश टैग के साथ हम गांधी के स्वास्थ्य चिंतन को समझने का प्रयास करने जा रहे हैं। इस प्रयास में आप पाठकों का साथ बहुत जरूरी है। अगर आपके पास महात्मा गांधी के स्वास्थ्य चिंतन से जुड़ी कोई जानकारी है तो हमसे जरूर साझा करें। यदि आप कम कम 300 शब्दों में अपनी बात भेज सकें तो और अच्छी बात होगी। अपनी बात आप हमें forhealthyindia@gmail.com  पर प्रेषित कर सकते हैं।
 

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